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उत्तराखंड: वोट पक्का करने के लिए दिलवाते हैं नमक-लोटा कसम

-रवाईं के मोरी व पुरोला ब्लाक पुरोला विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा व लोकसभा के चुनाव तक यहां कसम खूब चर्चा में रहती हैमोरी व पुरोला ब्लाक में वोट पक्का करने के लिए प्रत्याशी व समर्थक मतदाताओं को कसम दिलाने से भी पीछे नहीं हटते।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (Shabd Rath News)। चुनाव में वोट के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थक मतदाताओं के द्वार पर दस्तक देते हैं। लेकिन, उत्तरकाशी जनपद के रवाईं क्षेत्र मोरी व पुरोला ब्लाक में वोट पक्का करने के लिए प्रत्याशी व समर्थक मतदाताओं को कसम दिलाने से पीछे नहीं हटते। नमक-लोटे के साथ होने वाली कसम को वोट की गारंटी माना जाता है। हालांकि, युवा पीढ़ी अब कसम को राजनीति से दूर रखने की वकालत करती है।

उत्तरकाशी जनपद के मोरी व पुरोला ब्लाक पुरोला विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा व लोकसभा के चुनाव तक यहां कसम खूब चर्चा में रहती है, जिसे नमक-लोटा की कसम कहा जाता है। कहा जाता है कि नमक लोटा कसम को केवल जमीनी विवाद या आपसी मतभेद हल के लिए शुरू किया गया था। लेकिन, इसका इस्तेमाल अब चुनाव में भी बढ़ रहा है। गुपचुप ढंग से होने वाली कसम को प्रत्याशी व समर्थक वोट की गारंटी की तरह लेते हैं।

बताया जाता है कि इसकी जानकारी केवल कसम लेने और दिलाने वाले को ही होती है। इसके अलावा किसी को नहीं। चुनाव में कितने लोगों को नमक-लोटा की कसम दिलवाई गई है, इसका विवरण रखा जाता है। क्षेत्र से संबंध रखने वाले युवा नेता दीपक सिंह का कहना है कि कसम दिलाकर मतदाता को बंधन में नहीं बांधा जाना चाहिए। उन्होंने कसम को राजनीति से अलग रखने की भी बात कही। अब युवा पीढ़ी धीरे-धीरे जागरूक हो रही है, कसम की जगह प्रत्याशी की योग्यता देखकर वोट करती है।

नमक-लोटा की कसम

नमक-लोटा की कसम लोटे (बर्तन) में नमक डालकर दिलाई जाती है, जिसमें कसम लेने वाला व्यक्ति ईष्ट देव को साक्षी मानकर पानी से भरे लोटे में नमक डालता है और कसम दिलाने वाले के प्रत्याशी को वोट नहीं देने पर पानी में नमक की तरह गलने की बात कहता है।

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