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जन के सुमन तुम्हें शतश नमन…. अमर बलिदानी को श्रद्धा सुमन

(मनहरण घनाक्षरी)

श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर विशेष….

वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
कवि/पत्रकार
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जन्मा वीर योद्धा एक, दुख सहे थे अनेक
अमर बलिदानी जी, श्रीदेव सुमन है
पिता वैध हरिराम, जन्मभूमि जौल ग्राम
तेजस्वी मां तारादेवी, शतश वंदन है
जनता की पीड़ा सुनी, संघर्षों की राह चुनी
मुक्ति अत्याचार से जी, दिलाने का मन है
घूम घूम रियासत, लोगों को जाग्रत किया
समर्पित कर दिया, जन को यौवन है।।

राजशाही अत्याचार, ढोएंगे न लोग अब
खत्म होगा टिहरी से, जन का दमन है
महकेगा सुख के जी, कुसुमों से राज्य सारा
सुखी समृद्ध जनता, सुमन सपन है
क्रांति ज्वाला उठी जब, महल में हलचल
देखो जननायक को, आ गया समन है
कारिदों ने राजा के तो, डाल दिया का कारावास
पड़ी हथकड़ी सेर, पैंतीस वजन है।।

झुका नहीं वीर योद्धा, कारा की प्रताड़ना से
विचारों में आज तक, गजब तपन है
अधिकार जन को दो, चाहे मेरी जान ले लो
अन्न जल त्यागकर, किया अनशन है
इतिहास है गवाह, चौरासी दिनों की आह
कारिदों ने मार दिया, मिला न कफ़न है
वीर गाथा तेरी सदा, गूंजेगी जयकारों से
जन के सुमन तुम्हें, शतश नमन है।।

2 thoughts on “जन के सुमन तुम्हें शतश नमन…. अमर बलिदानी को श्रद्धा सुमन

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