कश्मीर (श्रीनगर) विश्वविद्यालय की हरियाली ने मोह लिया मन
यात्रा वृतांत : श्रीनगर गढ़वाल से श्रीनगर कश्मीर तक (द्वितीय दिवस 9 जून 2025)
नीरज नैथानी
श्रीनगर, गढ़वाल

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कश्मीर विश्वविद्यालय श्रीनगर में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
हम लोग प्रातः कालीन नाश्ते के बाद तीन अलग-अलग गाड़ियों में बैठकर चल दिए हजरत बल क्षेत्र में स्थित कश्मीर विश्वविद्यालय की ओर। इस समय मौसम पूरी तरह साफ था। वातावरण में गुनगुनी धूप घुली हुई थी। बाजार में चहल-पहल शुरू हो ही रही थी। हमारे वाहन विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए आगे बढ़ रहे थे। हम श्रीनगर की सुबह को मदमस्त अंगड़ाई लेते हुए देखकर प्रफुल्लित हो रहे थे।
इस खुशनुमा माहौल के बीच हमारे वाहन कब विश्वविद्यालय मुख्य द्वार पर पहुंच गए पता ही नहीं चला। यहां पर सिक्योरिटी चेक के पश्चात फिर हमने परिसर के अंत:भाग की ओर प्रस्थान किया। श्रीनगर विश्वविद्यालय का सम्पूर्ण परिसर हरियाली से हरा भरा है। सुंदर पादप पुष्प लताएं, वाटिकाएं, उपवन, हरितमा मन मोह लेती हैं।
गांधी सभागार के बाहर भी आकर्षित करने वाली दृश्यावली बिखरी हुई थी। हम लोग वाहन से नीचे उतरते ही आसपास के सुंदर दृश्यों को कैमरे में कैद करने में लीन हो गए। पर्याप्त फोटो खींच लेने के बाद जब हॉल में गए तो पाया कि बकरीद की लगातार तीन दिन की छुट्टियां होने के बावजूद बड़ी संख्या में शोधार्थी, साहित्यकार, लेखक, कवि, रचनाकार कश्मीर विश्वविद्यालय श्रीनगर में आयोजित सेमिनार में प्रतिभाग करने हेतु पधारे हुए हैं।
प्रोफेसर नीलोफर खान (वाइस चांसलर), डीन कला संकाय प्रो. मोहम्मद एजाज शेख, प्रोफेसर रूबी जुत्सी विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग, डा संजय हिंदी निदेशालय (नई दिल्ली ), प्रो जाहिदा, प्रो राजेश श्रीवास्तव (भोपाल), मैडम डा. कुरैशी, डा. सुमन रानी (सचिव साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन), सोनिया विहार दिल्ली, डा. ध्रुव पाण्डेय, डा. धीरेन्द्र गौतम (रीवा मध्य प्रदेश) डा. प्रतिभा चौहान (हरियाणा), अंजू बाला गोस्वामी राजस्थान, डॉ. नाहिरा कुरैशी (कश्मीर विश्वविद्यालय), प्रोफेसर जाहिदा जबीन (कश्मीर विश्वविद्यालय), प्रोफेसर कृष्ण चंदर सेवा निवृत्त रजिस्टार (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) के साथ ही
महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, केरल आदि विभिन्न राज्यों के सैकड़ों प्रतिनिधियों ने संगोष्ठी में सहभागिता की।
उद्घाटन सत्र के पश्चात विभिन्न विद्वानों द्वारा शोध पत्रों का वाचन किया गया। मध्यान्तर में लंच ब्रेक व अल्प विश्राम के पश्चात पुनः शोध पत्र वाचन, विचार-विमर्श सत्र संचालित हुए।
क्रमश …
