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वरिष्ठ कवि/साहित्यकार नीरज नैथानी की कहानी… प्रधान जी

नीरज नैथानी
रुड़की, उत्तराखंड
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प्रधान जी
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बस पहाड़ी सड़क की चढ़ाई वाले मार्ग पर घूं घूं की आवाज के साथ एक के बाद दूसरे मोड़ को काटते हुए इस समय बहुत ऊंचाई तक आ गयी थी।फिर थोड़ी ही देर बाद एक छोटे से स्टेशन पर बस रुकी व कुछ सवारियां उतरने लगीं।

दायीं ओर सड़क के किनारे बने सुंदर से प्रवेश द्वार के ऊपरी शिलापट्ट पर आकर्षक लेख में ‘ग्राम सभा’ कण्डी आपका स्वागत करती है अंकित था।
समीप‌ ही यात्री विश्रामालय, ‘कंडी ग्राम’ लिंटर वाले शेड के नीचे सीमेंटेड बेंच पर बैठे कुछ आदमी बतिया रहे थे।

सामने छोटे-छोटे सीढ़ीनुमा खेतों में लहराती हरी फसलों की दृश्यावली बहुत सुंदर लग रही थी। पार्श्व में दूर तक देवदार वृक्षों का हरित जंगल प्रदेश इस स्थली के नैसर्गिक सौंदर्य में आकर्षक रंग घोलता प्रतीत हो रहा था। मोटर हेड से गांव को जोड़ने वाले पैदल मार्ग में बिछे खड़िंजे का घुमावदार रास्ता किसी चित्रकार की कूची से कल्पित भू-दृश्य के समान लग रहा था।

वाह कितना सुंदर गांव है मेरे मुंह से अनायास निकल पड़ा। बगल की सीट पर बैठे स्थानीय सहयात्री ने प्रतिक्रिया व्यक्त की ‘पढ़े लिखे व समझदार लोगों का गांव है यह। सोने पर यह‌ सुहागा है कि इस गांव के प्रधान जी बहुत कर्मठ व समर्पित हैं।

‘हां, वह तो आकर्षक प्रवेश द्वार, सुंदर यात्री विश्रामालय और पैदल बटिया का सौंदर्यीकरण देखकर ही लग रहा है, मैंने सहमति में गर्दन हिलाते हुए कहा।

एक हमारे गांव के घुत्ता प्रधान जी हैं, उनका अलग ही जलवा है उसने व्यंग्यात्मक शैली में कटाक्ष किया।अच्छा क्या विशेषता है आपके ग्राम प्रधान की मैंने जिज्ञासा प्रकट की?
भाई साहब, प्रधान बनने से पहले वे साधारण हैसियत वाले एक आम गांव वासी जैसे ही थे। परंतु प्रधान बनते ही न जाने ऐसा क्या जादुई चमत्कार हुआ कि उनका पूरा हुलिया ही बदला।
अच्छा ऐसा क्या हुआ मैंने पहलू बदलते हुए उत्सुकता प्रदर्शित की?
सर जी, सबसे पहले उनका मिट्टी पत्थर का बना पुरानी शैली का कच्ची छत वाला मकान देखते ही देखते पक्के लिंटर वाले आधुनिक भवन में तब्दील हो गया।
फिर प्रधान जी के घर समृद्धि, वैभव व धन संपत्ति की ऐसी तेज बौछार हुयी कि सारे गांव वाले भौचक रह गए।
अच्छा, मैंने वार्तालाप में रुचि प्रकट करते हुए कहा।
सर, वोट देते समय गांव वालों ने सोचा कि घुत्ता भाई के प्रधान बनते ही अपने गांव की तस्वीर बदलेगी। गजब हुआ कि गांव के‌ हालत तो बद से बदतर होते चले गए। लेकिन, थोड़े ही समय में प्रधान जी के परिवार के रहन सहन व जीवन स्तर में आमूल चूल परिवर्तन हो गया।
अब वे हमारी तरह बस में सफर करने के बजाय कार टैक्सी से आना जाना करते हैं।

आपको एक बात बताऊं, हमारे स्कूल मास्टर से प्रधान जी की खूब पटती है, दोनों की मध्याह्न भोजन में कायदे से दाल गलती है, अच्छी खासी खिचड़ी पकती है दोनों की, उसने चटखारे लेते हुए खुलासा किया।
विद्यालय में जब ग्राम सभा के बजट के अंतर्गत होने वाले शौचालय निर्माण का कार्य चल रहा हो या कोई अन्य योजना का काम, प्रधान व प्रधानाध्यापक जी को गहरी गुफ्तगू करते हुए देखा जा सकता‌ है उसने राज खोला।

यूं तो सरकार ने तय कर रखा है कि ग्राम सभा के अंतर्गत जो निर्माण कार्य किए जाएंगे, मनरेगा के तहत गांव के परिवार के कम से कम एक सदस्य को मजदूरी का कार्य दिलाया ही जाएगा।परंतु कई बार तो केवल कागजों में लीपा-पोती हो जाती है, कई बार पिछली योजना में बने मार्ग या दीवार को ही थोड़ा बहुत मरम्मत करके नया निर्माण बता दिया जाता है।
प्रधान जी का रजिस्टर, प्रधान जी का बस्ता, प्रधान जी के कागजात सब अल्मारी में गुप्त स्थान पर सुरक्षित रहते हैं।

हैरानी की बात यह है कि हमारे प्रधान जी बहुत पढ़े लिखे तो नहीं हैं पर दिमाग बहुत तेज है उनका।
जब एमएलए, एमपी के चुनाव होते हैं तो किसी नेता के आगमन से एक दिन पूर्व ही सारे गांव में उस पार्टी के सारे झण्डे पोस्टर लग जाते हैं तथा कुछ दिनों बाद जब दूसरी पार्टी के नेता की गांव में सभा होनी होती है तो रातों रात पहले से चस्पा पोस्टर व झण्डे बैनर निकालकर दूसरे दल के झण्डे बैनर लग जाते हैं यानि कि हर पार्टी के नेता से उसूलना आता है हमारे प्रधान जी को। समझ लीजिए जो नेता देश की योजनाओं का पैसा हजम करने में माहिर होते हैं, हमारे प्रधान जी उनसे कहीं अधिक शातिराना अंदाज में उनको ही चकमा देकर चूना लगा देते हैं।

जिस भी पार्टी का नेता गांव में वोट मांगने आता है प्रधान जी उसे पूरा भरोसा दिला देते हैं कि गांव की सारी वोट उसी को जा रही हैं।
उन दिनों प्रधान जी के घर में जश्न का माहौल होता है। गांव के बेरोजगार, लफंडर, मवाली, बिगड़ैल, चालू किस्म के लोगों की बहार आ जाती है।
दारू, मुर्गा, बोतल, हुल्ला हुड़दंग, नारेबाजी से सारे गांव में हलचल मची रहती है।

अब सुनने में आ रहा है कि लगातार दो बार के सफल कार्यकाल के बाद वे अपनी प्रधानी की विरासत अपने समान योग्य उम्मीदवार के हाथों में सौंप कर ब्लाक प्रमुख या हो सके तो जिला पंचायत में दखलंदाजी करने के ख्वाहिशमंद हैं।
फिर हर दांव-पेंच में पूरी तरह पारंगत होकर यही तो राज्य व देश के बड़े नेता बनेंगे। उसने कटाक्ष किया।

मैंने भी चुस्की लेते हुए पूछा और इनका क्या होगा समझदार लोगों वाले गांव के अच्छे प्रधान जी का? जी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ये गांव के स्तर से ऊपर नहीं उठ पाएंगे, उसने ताल ठोंकते हुए अपना फैसला सुनाया।

 

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