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बोले विशेषज्ञ… नई तकनीक ने गंभीर रोगों के इलाज को बनाया आसान

-श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के काॅलेज ऑफ पैरामेंडिकल साइंसेज़ में आयोजित किया एक दिवसीय वेबीनार

-टीबी व कैंसर के उपचार में सहयोगी तकनीकों पर विशेषज्ञों ने किया मंथन

देहरादून (dehradun)। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय (Sgrr University) के काॅलेज आॅफ पैरामैडिकल साइंसेज़ ने शुक्रवार को वेबीनार (vebinar) आयोजित किया। विशेषज्ञों ने कहा कि मेडिकल साइंस में तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं। मेडिकल साइंस के क्षेत्र में नई तकनीकों व शोध कार्यों के परिणामों ने गंभीर रोगों के उपचार को काफी हद तक आसान बनाने का काम किया है। किसी भी बीमारी के मूल कारणों का पता लगने पर बीमारी का उपचार आसान हो जाता है।
वेबीनार का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ यूएस रावत (vice chancellor Dr US rawat) ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्ज्वल लित कर किया। मुख्य वक्ता डाॅ प्रमोद कुमार गुप्ता (Dr Pramod Kumar Gupta) साइंटिफिक आॅफिसर (ई) बीएआरसी मुम्बई ने कहा टीबी की बीमारी के इलाज के लिए कई आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं। उन्होंनें नई तकनीक के इस्तेमाल, प्रभाव व रोगियों के इलाज में इस तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डाला।

पैट सीटी/एफडीजी के प्रयोग व परिणाम की दी जानकारी

डाॅ प्रियंका वर्मा (Dr Priyanka Soni) सोनी कंस्लटेंट न्यूक्लियर मेडिसिन बीएआरसी मुम्बई ने पैट सीटी/एफडीजी के प्रयोग व परिणाम पर प्रकाश डाला। उन्होंने कैंसर के लक्षणों को पता लगाने में पैट सीटी की उपयोगिता को भी समझाया।

छात्र-छात्राओं को नए-नए विषयों को जानने व समझने का मिलता है मौका

काॅलेज ऑफ पैरामैडिकल के डीन, प्राचार्य व वेबीनार समन्वयक डाॅ लोकेश गंभीर (Dr Lokesh Gambhir) ने कहा कि एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (Sgrr University) श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज (chancellor Shri Mahant devendra das Ji Maharaj) के कुशल दिशा-निर्देशन में छात्र-छात्राओं को नए-नए विषयों को जानने व समझने का अवसर मिलता है। वेबीनार में एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ उदय सिंह रावत, विश्वविद्यालय समन्वयक डाॅ मालविका कांडपाल व डाॅ नेहा चौहान, आयोजक सचिव मुकेश चमोली, आयोजक समिति के सदस्य दिव्या चौहान और राजिया सिद्दकी आदि ने विचार रखे। उन्होंने श्री महन्त इन्दिरेश अस्पताल की ओर से संचालित व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी दी। वेबीनार में 500 विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

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