निकी पुष्कर के काव्य संग्रह “पुष्कर विशे’श” का हुआ लोकार्पण
-ट्रांजिस्ट हॉस्टल रेसकोर्स में आयोजित किया गया लोकार्पण समारोह। साहित्यकार पदमश्री लीलाधर जगुड़ी, कहानीकार जितेन ठाकुर, कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” और साहित्यकार/शिक्षाविद् डॉ विद्या सिंह ने किया लोकार्पण
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। नवोदित कवि निकी पुष्कर के काव्य संग्रह “पुष्कर विषे’श” का लोकार्पण ख्यातिलब्ध साहित्यकार पदमश्री लीलाधर जगुड़ी, कहानीकार जितेन ठाकुर, कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” और साहित्यकार/शिक्षाविद् डॉ विद्या सिंह ने किया। संग्रह में 97 रचनाएं शामिल हैं। काव्य संग्रह समदर्शी प्रकाशन मेरठ ने प्रकाशित किया है।
ट्रांजिस्ट हॉस्टल रेसकोर्स में आयोजित लोकार्पण समारोह का शुभारंभ कविता बिष्ट की सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जितेन ठाकुर ने कहा कि साहित्य में संपूर्णता नहीं निरंतरता होनी चाहिए। कवि/लेखक को लिखते समय यह सोचना चाहिए कि वह विश्व की सबसे श्रेष्ठ रचना लिख रहा है। उन्होंने सलाह दी पुस्तक का दायरा सीमित होता है, रचनाएं पत्र/पत्रिकाओं में भी छपनी चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में निकी पुष्कर की कई रचनाओं का जिक्र करते हुए उनकी सराहना की।
मुख्य अतिथि पदमश्री लीलाधर जगुड़ी ने कहा कि प्रेम प्रत्येक रिश्ते में होता है। लेकिन, स्त्री के बिना प्रेम अधूरा है। स्त्रियों पर सबसे ज्यादा लिखा गया है। काव्य संग्रह काव्य संग्रह “पुष्कर विशे’श” को उन्होंने उत्कृष्ट संग्रह बताया। कहा कि कवि निकी पुष्कर की शब्दों पर अच्छी पकड़ है। उन्होंने कवि को लघु कविताएं भी लिखने की सलाह दी। जगुड़ी ने कहा कि पश्चिम में बहुत अधिक रिसर्च हो रहा है। लेकिन, भारत में रिसर्च कम हो रहा है, हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने कहा कि सबसे पहले हमें यह तय करना चाहिए कि कविता क्यूं लिख रहे हैं। हमारी सोच स्पष्ट होगी तभी सही लेखन होगा। सच यह है कि कविता लिखी नहीं जाती, कविता जीनी पड़ती है। साहित्य में सकारात्मक होना जरूरी है। नकारात्मकता हमें पतन की ओर ले जाती है, भटकाव की ओर ले जाती। इसलिए इससे बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि निकी पुष्कर के काव्य संग्रह की रचनाओं का स्तर उत्कृष्ट है। उनकी कविताओं में सतत् प्रवाह है जो कि उत्कृष्ट काव्य की पहली शर्त है। विभिन्न विषयों पर उनकी संवेदनशील रचनाएं पाठकों को अपने ही मन बात सी लगेंगी।
काव्य संग्रह की समीक्षा करते हुए डॉ विद्या सिंह ने कहा कि निकी पुष्कर के काव्य संग्रह में समृद्ध रचनाएं हैं। प्रेमजयी, गूंगे का गुड़, रंगत, चालीस पार पुरुष, चालीस पार औरतें सहित कई रचनाओं का जिक्र उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि आगामी काव्य संग्रह में कवि की रचनाओं के विषय का विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि महिला कवियों की कविताओं में प्रेम की अधिकता होती है। आखिर वह कौन सा प्रेम है जो वो पाना चाहती हैं। यह विचारणीय विषय है।
निकी पुष्कर ने कहा कि पहली कविता उन्होंने कब लिखी उन्हें याद नहीं है। लेकिन, वह कविता जीती हैं तभी लिख पाती हैं। उन्होंने बताया कि काव्य संग्रह का नाम उन्होंने अपने माता-पिता के नाम को मिलाकर रखा है। उन्होंने कहा कि काव्य संग्रह की सभी रचनाएं उनकी पसंदीदा हैं। लेकिन, यह पाठक ही तय करेंगे कि काव्य संग्रह कैसा है।
कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार शांति प्रकाश जिज्ञासु ने किया।
इन्होंने किया अतिथियों का सम्मान
प्रदीप बिष्ट व निकी पुष्कर
राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेशन वजा इंडिया उत्तराखंड इकाई के प्रदेश उपाध्यक्ष जीके पिपिल
देहरादून संयोजक नरेन्द्र उनियाल
महिलाइकाई की प्रदेश अध्यक्ष डॉ बसंती मठपाल
देहरादून जिलाध्यक्ष कविता बिष्ट
डॉलीडबराल।
समारोह में इनकी रही मौजूदगी
कान्ता घिल्डियाल, ज्योत्सना जोशी, अवनीश उनियाल, बीना बेंजवाल, रमाकांत बेंजवाल, बीना कंडारी, मातृका बहुगुणा, कुसुम पंत “उत्साही”, कल्पना बहुगुणा, लक्ष्मी प्रसाद बडोनी “दर्द गढ़वाली”, महिमा श्री, श्रीकांत श्री, मणि अग्रवाल “मर्णिका”, नीलमप्रभा वर्मा, पूनम नैथानी, शिखा भट्ट, मिताली रावत, राकेश बहुगुणा, सविता जोशी, सुदीप जुगरान, मधुरवादिनी, भूपेन्द्र रावत, अवधेश कुमार कौशिक, अंजु निगम, धीरेन्द्र सिंह, संगीता जोशी कुकरेती, दिनेश रावत, कौमुदी बिष्ट, शाम्भवी बिष्ट।