युवा कवि नीतीश डोभाल की मन को छूने वाली रचना … कुछ टूटने से पहले
नीतीश डोभाल
देहरादून, उत्तराखंड

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सबसे पहले काँच नहीं टूटता
पहले टूटती है उसकी पारदर्शिता
एक क्षण को
हर चीज़ अपनी असल जगह
खो देती है
और संसार एक धुँधला-सा
फोटोग्राफ बन जाता है
जिसमें हम सब
थोड़े बाहर, थोड़े भीतर
खड़े दिखते हैं
कुछ टूटने से पहले
समय की घड़ी नहीं चलती
बस टिक-टिक के बीच
एक लंबा मौन टिका रहता है
जहाँ से सब कुछ शुरू भी हो सकता है
या…
एकदम
वहीं पर ख़त्म
Nitish Dobhal
10 नवम्बर 2025
