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एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने किया सचिवालय, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी हुए शामिल

-एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि राज्य के युवाओं के हित के लिए किया एनएसयूआई ने सचिवालय कूच, मुख्यमंत्री मांगों पर जल्द करें कार्रवाई। यदि मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो एनएसयूआई प्रदेश स्तर पर करेगा उग्र आंदोलन

देहरादून। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में घोटाले का आरोप लगाते हुए एनएसयूआई में आज सचिवालय कूच किया। छात्र संगठन के इस कूच में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी शामिल हुए।
कांग्रेस भवन से दोपहर एक बजे सचिवालय के लिए एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और कांग्रेसियों ने कूच किया। सचिवालय से पहले ही सेंट जाेजफ्स अकेडमी के पास पुलिस ने प्रदर्शन करोयों को रोक लिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई। लेकिन, पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया, इस पर प्रदर्शनकारी वहीं सड़क पर ही धरना दे कर बैठ गये।

नेताओं ने कहा कि सूबे में बेरोजगा री निरंतर बढ़ रही है। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती की परीक्षा से बेरोजगारों को रोजगार की उम्मीद थी। लेकिन, उसमें धांधली करवा दी गई। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार बेरोजगारों के साथ छल कर रही है। बेरोजगारों को नियुक्तियां देने की बात कहकर गुमराह किया जा रहा है। सचिवालय कूच करने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, निवर्तमान प्रवक्ता गरिमा दसौनी, एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी, जिला अध्यक्ष सौरभ ममंगाई, आयुष गुप्ता, विकास नेगी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।

राज्य के युवाओं के हित के लिए हुए सचिवालय कूच: भंडारी

एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि राज्य के युवाओं के हित के लिए एनएसयूआई ने सचिवालय कूच किया। मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया है। इसमें फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में एसआईटी जांच कर दोषियों का बाहर किया जाय और परीक्षा परिणाम जारी करने, वीडीओ और एलटी शिक्षक पद के लिए इसी महीने विज्ञप्ति जारी करने, पटवारी भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी करने और राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग विभिन्न विभागों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने सहित अन्य मांगे शामिल हैं। यदि मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो एनएसयूआई प्रदेश स्तर पर उंग्र आंदोलन को मजबूर होगी।

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