हृदयांगन साहित्यिक संस्थान ने सजाई अद्वितियम अद्भुत अनोखी महफिल
-मुंबई की सुप्रसिद्ध संस्था हृदयांगन साहित्यिक एवं सामाजिक पंजीकृत संस्था ने सजाई दीप मंजरी शाम धन तेरस के नाम। लगभग चार घंटे गूगल मीट पर इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की कानपुर की वरिष्ठ कवियित्री डा प्रमिला पाण्डेय ने तथा संचालन देश की सुप्रसिद्ध मंच संचालिका डा अलका अरोड़ा ने (देहरादून)। मंच की शोभा बढाई जाने माने श्रीमदभागवत महापुराण कथा प्रवक्ता साहित्याचार्य साहित्यरत्न श्रीकृष्ण द्विवेदी महाराज ने जिनकी वेदवाणी युक्त अक्षय आशीर्वाद ने श्रीराम के अयोध्या आगमन तथा गोपी गीत का लयबद्ध गायन कर हृदयांगन मंच को धन्य कर दिया।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। हृदयांगन साहित्यिक संस्थान मुंबई ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें विभिन्न राज्यों के कवियों ने प्रतिभाग कर शानदार काव्यपाठ किया। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन को बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा और सराहा।
डा अरूण प्रकाश मिश्र अनुरागी ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आगे बढाया। अध्यक्ष प्रमिला पाण्डेय से दीपावली अभिनंदन शुरू हुआ। एक सूरज उगा ले तथा मां की ममता के शब्दो ने उनकी उपस्थिति को सार्थक कर दिया। यह डा अलका का नया प्रयोग था, उन्होने नई परम्परा डालते हुये सीधे कैप्टन को ही पहले मैदान मे उतारा। नागदा उज्जैन से निकिता डोले ने दीवाली सब त्योहारो की रानी, घर पर आया स्वर्ग उतार कर गीत सुनाकर बहुत तालिया बटोरी। श्रृंगार के सुप्रसिद्ध कवि डा अरूण प्रकाश मिश्र अनुरागी की पायल की झनकार तो सबके दिल मे ऐसी छाई कि अलका जी मंत्रमुग्ध हो गयी। हास्य-व्यंग्य के हस्ताक्षर कानपुर के लुल्ल कानपुरी अजीत सिंह राठौर ने कैक्टस के फूल और बेटी पर उनका हास्य एक करारी चोट थी समाज पर। अलीगढी ताले कब खुलेगे? उन्होने प्रश्न कर सबको विचारमग्न कर दिया। सदाशिव चतुर्वेदी मधुर ने सब मिलकर इस बार दीवाली में, आओ इक संकल्प करे। खूब मिठाई बांटे पर , मन मे मधुर मिठास रहे, रिश्ते नाते खूब निभायें, दर्द का भी अहसास करे, कुछ भी बोले उससे पहले, मन में खूब विचार करें। तनूजा नवीं मुंबई से गुरू महिमा के बाद मेरे लिये जीना एक सजा हो गया, प्यार मेरा मुझसे जुदा हो गया, जाने किस बात से वो ख़फा हो गय, मै पत्थर वह देखते ही देखते खुदा हो गया।
पूजा अग्रवाल मुजफ्फरनगर उप्र ने इतिहास मे पहली बार दसकंधर की पीड़ा को इस दीवाली पर समझा। दस सिर के साथ उसका चलना फिरना कपड़े पहनना नहाना धोना आदि आदि। आखिर विधु को कहना पड़ा कि रावण का दर्द पूजा तुम्ही ने समझा। अगर मुंबई के 10×10 के फ्लैट मे रहता तो क्या होता। लखनऊ से किरण मिश्रा ने दर्द अनोखा दे गया गीत गाकर परदेशी से बचकर रहने की नसीहत दी। सीमा वार्णिक कानपुर से दीपावली अभिनंदन पर अच्छी कविता सुनाई । विशिष्ट अतिथि कानपुर से ही कुसुम सिंह चन्देल अविचल (अध्यक्ष संयोजक सत्य संदेश संस्था) उन्होने राम पर अनुपम काव्य की प्रस्तुति दी।प्रतिध्वनित है व्योम व्योम में, राम समाये है रोम रोम मे।
राम मर्यादा के पर्याय है। अविचल ने राम के अस्तित्व पर प्रश्न उठाने वालो पर कलम की तलवार चलाते हुये तीखा सवाल किया.. वाचालो को मूक कर दिया सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय लाकर। संस्था की संरक्षक विद्युत प्रभा मंजू (देहरादून) ने फरमाया.. जब बुराई पर अच्छाई का वास हो तब मनाये दीवाली और देखिये देश की मिट्टी से निर्मित स्वयं का दीपक जलाये। अंतर्मन के स्वर का गीत इक हूक सी उठती है, ये कैसी विरानी छाई है। विनयदीप शर्मा (सवैया उनकी पहचान है) ने सुन्दर सवैया प्रस्तुत की। आचार्य श्रीकृष्ण द्विवेदी महाराज ने हारमोनियम पर राम भजन गोपी गीत तथा सबको अक्षय आशीर्वाद दिया। संस्था की ओर आचार्य जी को ससम्मान शाल श्रीफल रजत सिक्का और मानद राशि की उद्घोषणा विधुभूषण अध्यक्ष हृदयांगन संस्था द्वारा की गयी।
उन्होने बताया कि 19 अक्टूबर को संस्था के सदस्य चिरंजीव ऐश्वर्य के विवाह के अवसर पर संस्था की संरक्षक विद्युत प्रभा चतुर्वेदी मंजू अपने करकमलो से इस सम्मान से आचार्यजी को सुशोभित करेगी। डा प्रमिला पाण्डेय ने सभी को धन्यवाद देते हुये कार्यक्रम मे आचार्यश्री की उपस्थिति तथा उनके श्रीमुख से देववाणी से आशीर्वाद को अमूल्य निधि कह कर उन्हे नमन तथा उनका आभार व्यक्त किया। तृप्ति डोले और विश्वनाथ डोले, आशुतोष आदि ने कमेन्ट लिखे और सराहा।