पागल फ़क़ीरा….. मुझे कैसी नज़र से देखता है..
पागल फ़क़ीरा
भावनगर, गुजरात
——————————————————
मुझे कैसी नज़र से देखता है,
मेरा होना भी जैसे हादसा है।
हमारे दर्द का कोई मुखोटा नहीं,
उसे तू यार कब पहचानता है।
मेरे उजड़े मकाँ के आईने में,
तेरा चेहरा ही अक़्सर झाँकता है।
मुझे देकर वो थोड़ा-सा दिलासा,
वो मुझसे आज क्या-क्या माँगता है।
जिसे कहते हैं सारे लोग वहशी,
हक़ीक़त में वो कोई दिलजला है।
कोई आवाज़ बैमानी है नहीं,
हवा ने कुछ तो पत्तों से कहा है।
हमें फ़क़ीरा कहता है ज़माना,
मगर ये तंज भी कितना बड़ा है।