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उत्तराखंड में कांग्रेसियों की नाराजगी दूर करेंगे पीएल पुनिया

-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पार्टी हाईकमान तक यह बात पहुंचाई। उनकी बात का संज्ञान लेते हुए पार्टी ने वरिष्ठ नेता को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजने का फैसला लिया था। पुनिया का कोई आधिकारिक कार्यक्रम जारी नहीं किया गया है। पुनिया शनिवार शाम देहरादून आएंगे। रविवार को पीसीसी में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान वह वरिष्ठ नेताओं से अलग-अलग बातचीत भी करेंगे। सोमवार को अनुषांगिक संगठनों और प्रकोष्ठों के अध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे।

कांग्रेस पार्टी में विस चुनाव हार के बाद से ही वरिष्ठ नेताओं के बीच हार के कारणों को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। लेकिन, कुछ दिनों में वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह, तिलक राज बेहड़ और मदन बिष्ट के पार्टी प्रभारी और संगठन को लेकर बयान सामने आए हैं, उनसे पार्टी के साथ संगठन भी असहज है। इसको दुरूस्त करने के लिए पार्टी हाईकमान की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता व सीडब्ल्यूसी के सदस्य पीएल पुनिया को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजा जा रहा है। पुनिया शनिवार को (आज) तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचेंगे। उनके साथ प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी रहेंगे।

विधानसभा चुनाव वर्ष 2022 में मिली हार के बाद कांग्रेस नेताओं के बीच शुरू हुई बयानबाजी जारी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पार्टी हाईकमान तक यह बात पहुंचाई। उनकी बात का संज्ञान लेते हुए पार्टी ने वरिष्ठ नेता को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजने का फैसला लिया था। पुनिया का कोई आधिकारिक कार्यक्रम जारी नहीं किया गया है। पुनिया शनिवार शाम देहरादून आएंगे। रविवार को पीसीसी में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान वह वरिष्ठ नेताओं से अलग-अलग बातचीत भी करेंगे। सोमवार को अनुषांगिक संगठनों और प्रकोष्ठों के अध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे। इसके लिए पार्टी के सभी विधायकों, पूर्व एमएलए, पूर्व एमपी, प्रत्याशी रहे नेताओं को देहरादून बुलाया गया है। इसके अलावा जिलाध्यक्षों को भी बैठक में उपस्थित रहने को कहा गया है।

प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। उन्हें वरिष्ठ नेताओं से समन्वय बनाने और विधायकों को साधने में  मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे में बीते दिनों जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा के साथ ही कई मोर्चों पर विरोध के सुर मुखर हो गए। वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का बड़ा कारण यह भी है, उनके विधानसभा क्षेत्र में आने वाले जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा से पूर्व उनसे राय मशवरा नहीं किया गया। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है।

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