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पर्यावरणविद् सुंदर लाल बहुगुणा ने निधन पर पीएम मोदी, उत्तराखंड के सीएम, पूर्व सीएम, शिक्षा मंत्री पांडे, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जताया शोक, श्रद्धांजलि दी

-बहुगुणा कोरोना संक्रमित हुए थे और ऋषिकेश एम्स में उनका इलाज चल रहा था। शुक्रवार की दोपहर 12 बजे उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 94 वर्ष के थे। उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् व चिपको आंदोलन के नेता सुंदर लाल बहुगुणा का आज निधन हो गया। बहुगुणा कोरोना संक्रमित हुए थे और ऋषिकेश एम्स में उनका इलाज चल रहा था। शुक्रवार की दोपहर 12 बजे उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 94 वर्ष के थे।

देश में शोक की लहर, प्रधानमंत्री ने जताया दुख

पर्यावरणविद् बहुगुणा के निधन की खबर मिलते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन पर प्रधानमंत्री, विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों सहित समेत अन्य लोगों ने दुख जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा का निधन देश के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की सदियों पुरानी परंपरा को जोड़े रखा। उनकी सादगी व करुणा की भावना को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शोक प्रकट किया

सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शोक प्रकट किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी बहुगुणा के निधन पर दुख जताया।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बहुगुणा के निधन पर जताया दुख 

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बहुगुणा के निधन पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। सोशल मीडिया पर जारी संदेश में पांडे ने कहा कि चिपको आंदोलन के प्रणेता, हिमालय की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा के लक्ष्य को सदैव सर्वोपरि रखने वाले विश्व प्रख्यात पर्यावरणविद् ,पद्मविभूषण से सम्मानित वृक्षमित्र सुंदर लाल बहुगुणा के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। पर्यावरण संरक्षण को जनांदोलन बनाने वाले रत्नगर्भा उत्तराखंड के महान सपूत, महान दूरदर्शी विचारक बहुगुणा का निधन सम्पूर्ण देश-समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें। शोकाकुल परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।

पर्यावरणविद् बहुगुणा का निधन प्रदेश के साथ पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षतिः महाराज

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यावरणविद् पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए इसे प्रदेश के साथ पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है। महाराज ने कहा कि ‘पर्यावरण गाँधी’ सुंदरलाल बहुगुणा सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सोलह दिन तक अनशन पर रहे। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होने पेड़ काटने का जमकर विरोध करने के साथ पौध लगाने की मुहिम को संरक्षण दिया। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में उनको पुरस्कृत किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। पर्यावरण को स्थाई सम्पति मानने वाले महापुरुष का यूं चले जाना निश्चित ही देश एवं प्रदेश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। बहुगुणा उत्तराखंड के जंगल, मिट्टी, पानी और बयार को जीवन का आधार मानते थे। समाज के हित में किये गये उनके कार्यों और पर्यावरण के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार भी मिला था।

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