प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगवाई कोरोना वैक्सीन, देश में वैक्सीनेशन का दूसरा चरण शुरू
वैक्सीन COVAXIN की विश्वसनीयता पर विपक्ष ने पर सवाल उठाए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने वैक्सीन लगवाकर विवाद को विराम देने की कोशिश की
देश में कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा चरण का शुरू हो गया है। दूसरे चरण का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने किया है। मोदी ने सोमवार सुबह AIIMS दिल्ली में कोरोना का टीका लगवाया। दूसरे चरण में 60 साल से अधिक उम्र वालों साथ ही 45 से 59 साल तक के उन लोगों को भी कोरोना टीका लगाया जाएगा जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं।
पीएम मोदी को भारत बायोटेक की ओर से विकसित स्वदेशी वैक्सनी COVAXIN की पहली डोज दी गई। पुडुचेरी की नर्स पी निवेदा ने पीएम मोदी को कोवैक्सीन की डोज लगाई है।
भारत बायोटेक की इस वैक्सीन के पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल गत सितंबर में पूरा हो गया था, उसके नतीजे दिसंबर में सार्वजनिक किए गए। हालांकि, वैक्सीन को लेकर विवाद भी हुए थे और COVAXIN की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। विपक्ष ने COVAXIN पर सवाल उठाए थे और इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को मिली मंजूरी को गलत बताया था। इसके बाद दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों स्वदेशी कोवैक्सिन को लगवाने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया था कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन लगवाकर इस पर उठे विवाद को विराम देने की कोशिश की है।
लंबे समय तक कोरोना महामारी से रहेंगे सुरक्षित
कोरोना की यह देसी वैक्सीन अन्य कंपनियों की वैक्सीन्स से अलग है। आईसीएमआर यानी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन में पावर बूस्टर मिलाया है। इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इस पावर बूस्टर का अहम रोल है। अन्य टीकों की अपेक्षा इस टीके से लोग लंबे समय तक कोरोना महामारी से सुरक्षित रह सकेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई वैक्सीन डेवलप करने के लिए अजुवंट के रूप में एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड का इस्तेमाल हो चुका है। मेडिकल साइंस की भाषा में कहा जाए तो यह बूस्टर टीएच-2 (Th2) आधारित इम्यून रेस्पांस पैदा करता है, जो बैक्टीरियल संक्रमण व एक्स्ट्रासेलुलर पैरासाइट्स को खत्म करने के लिए जरूरी है।
कैसे बनाती है वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी
कोवैक्सीन एक इनेक्टिवेटिट होल वायरस वैक्सीन है। यह पूरे वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती हैं, ऐसे में यदि वायरस में बदलाव भी हो तो भी उनमें उससे लड़ने की क्षमता होती है। इस तरह की वैक्सीन में कई सारे वायरल प्रोटीन और इनएक्टिवेटेड वायरस होते हैं। इनएक्टिवेटेड वैक्सीन में मृत पैथोजन (बीमार करने वाले वायरस) होते हैं, ये मृत पैथोजन शरीर में जाकर अपनी संख्या नहीं बढ़ा सकते लेकिन, शरीर इनको बाहरी आक्रमण ही मानता है और इसके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी डेवलप होने लगते हैं।
चार अरब वैक्सीन के डोज कराए उपलब्ध
भारत बायोटेक एक प्रतिष्ठित दवा मैन्यूफैक्चरर है। दुनियाभर में इसने 4 अरब वैक्सीन के डोज उपलब्ध कराए हैं। हैदराबाद स्थित इस कंपनी ने रोटावायरस, हेपेटाइटिस, जीका, जापानी एन्सेफलाइटिस जैसे संक्रमणों के लिए वैक्सीन तैयार की है। कोवैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर पर स्टोर किया जा सकता है और लाया-ले जाया जा सकता है।