कांता घिल्डियाल के काव्य संग्रह ‘मुट्ठी भर रंग’ का पदमश्री लीलाधर जगुडी ने किया लोकार्पण
–ऑफिसर्स ट्रांजिस्ट हॉस्टल रेसकोर्स में आयोजित किया गया लोकार्पण समारोह। साहित्यकारों ने बड़ी संख्या में की शिरकत
देहरादून। साहित्यकार कांता घिल्डियाल के काव्य संग्रह ‘मुट्ठी भर रंग’ का लोकार्पण रविवार को पदमश्री लीलाधर जगुडी ने किया। उन्होंने कहा कि कविता अपने समय की परंपरा को स्मृतियों से जोड़ती है। कविता संस्कार की जड़बंदियों के विरुद्ध नई भाषा, नई स्थिति और शब्दों की नई गूंज के पास ले जाती है।
कांता के रूप में सशक्त और समर्थ कवि का उदय
ट्रांजिस्ट हॉस्टल रेसकोर्स में आयोजित लोकार्पण समारोह में संबोधित करते हुए जगुडी ने कहा कि सभी चीजों को समग्रता से देखा जाना चाहिए तभी जीवन समझ आएगा। विशेष रूप के काव्य का सही रूप भी तभी आएगा जब कवि की दृष्टि समग्रता पर होगी। संकुचित सोच सही व उत्कृष्ट लेखन में बाधक होती है। उन्होंने कहा कि कांता घिल्डियाल के रूप में आज एक सशक्त और समर्थ कवि का उदय हुआ है। काव्य संग्रह ‘मुट्ठी भर रंग’ पढ़कर उन्हें सुखद अनुभूति हुई है। जगुडी ने काव्य संग्रह को शत-प्रतिशत नंबर दिए।
पुस्तक का लोकार्पण बेटी के जन्म जैसा
कवि कांता घिल्डियाल के कहा कि ‘मुट्ठी भर रंग’ पुस्तक का लोकार्पण मेरे लिए बेटी के जन्म जैसा है। लोकार्पण पर मुझे अहसास हो रहा जैसे मेरी तीसरी बेटी का जन्म हुआ हो। उन्होंने कहा कि कुछ भाव थे, कुछ विचार थे जो मैंने कागज पर उतार दिए। अब यह पाठकों पर निर्भर करता है कि उन्हें वह उन्हें पसंद करते हैं या नापसंद।
कांता की कविताओं में भविष्य की अपार संभावनाएं
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कहा कि कांता घिल्डियाल की कविताएं भविष्य की अपार संभावनाएं लिए हुए हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ दाताराम पुरोहित ने कहा कि कांता घिल्डियाल की कविताओं में शहर की विद्रूपता के विरुद्ध आक्रोश भी है। सारस्वत अतिथि कहानीकार कुसुम भट्ट ने कवि कांता घिल्डियाल की कविताओं को सराहना की। इससे पूर्व डॉ विद्या सिंह ने काव्य संग्रह की समीक्षा की। ज्योत्स्ना जोशी, सुनीता चौहान और कविता भट्ट ने कांता घिल्डियाल की कविताओं का पाठ किया। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार बीना बेंजवाल ने किया।
समारोह में इनकी रही उपस्थिति
लोकार्पण समारोह में अंबर खरबंदा, गिरीश घिल्डियाल, मुकेश नौटियाल, रमाकांत बेंजावाल, सुमित्रा जुगलान, विजय जुयाल, नीरज डंगवाल, डॉ सत्यानंद बडोनी, वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”, बीना कंडारी, डॉ नीलम प्रभा वर्मा, पुष्पलता ममगाईं, मधुर वादिनी तिवारी, कविता बिष्ट, सुरेश स्नेही, डीपी त्रिपाठी, रेखा त्रिपाठी, संतोष डिमरी, हर्षमनी व्यास, तन्मय ममगाईं, सुदीप जुगलान, केपी काला, कल्पना बहुगुणा, पूनम नैथानी, मंजू काला, निकी पुष्कर, डॉली डबराल, हरीश, कपिल, पूनम, अनुष्का, अंशिका आदि मौजूद रहे।