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कवयित्री पुष्पा जोशी प्राकाम्य की शानदार रचना भारत की बेटियों के नाम

पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’
उधमसिंह नगर, उत्तराखंड
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“बेटियाँ”
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हम भारत की बेटियाँ हैं,
नहीं समझना बेटों से कम।
वैदिक युग से अब तक हमने,
हर युग में लहराया परचम।।
हम हर युग के साथ बढ़े हैं,
लेकर अपने अडिग कदम हम।
नहीं समझना बेटों से कम ।०१।।

अमरीका के राष्ट्रपति को,
गाॅर्ड ऑफ ऑनर दिया है मैंने,
जीवन में हर इक जोखिम का,
प्रबल सामना किया है मैंने।
पूजा ठाकुर नाम है मेरा,
बाजुओं में है मेरे दम ।
नहीं समझना बेटों से कम।।०२।।

नासा की वैज्ञानिक हूँ मैं,
अंतरिक्ष को चीर बढ़ी हूँ।
संस्कार-सभ्यता सहेजे,
गौरव के शुचि शिखर चढ़ी हूँ।
नाम कल्पना चावला है,
चाँद छूने का भरती दम।
नहीं समझना बेटों से कम।।०३।।

गार्गी घोषा और अपाला,
सावित्री, गायत्री हैं हम।
लक्ष्मीबाई, चेन्नमा हैं
सीता माँ, अनुसुइया भी हम।
धर्म-कर्मरत हैं नतमस्तक,
मातृभूमि के चरणों में हम।
नहीं समझना बेटों से कम।।०४।।

हम भारत की बेटियाँ है,
नहीं समझना बेटों से कम।
वैदिक युग से अब तक हमने,
हर युग में लहराया परचम।
हम हर युग के साथ बढ़े हैं,
लेकर अपने अडिग कदम।।
नहीं समझना बेटों से कम।।०५।।
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..27/01/2021
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