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कवियित्री पुष्पा जोशी की एक शानदार बाल कविता… बादल काका

पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’
शक्तिफार्म, सितारगंज, ऊधमसिंहनगर
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बाल कविता (जलचक्र पर आधारित)
“बादल काका”
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बादल काका! यह बतला दो,
जल कैसे बरसाते हो?
जल तो सारा धरती पर है,
तुम कैसे ले जाते हो???
तुम तो रहते ऊपर-ऊपर,
दौड़ लगाते हो अंबर पर।
रिमझिम जो बरसाते पानी,
कहां से लेकर आते हो!
जल तो सारा धरती पर है,
तुम कैसे ले जाते हो??

बादल बोले, आज सुनो तुम,
जल कैसे बरसाते हम।
रिमझिम जो बरसाते पानी,
कहां से लेकर आते हम!
सूरज दादा चमक-चमक कर,
गर्मी जब बरसाते हैं,
भाप बनकर सारा पानी,
ऊपर को ले आते हैं।
नदियां-नाले, ताल-तलैया,
सभी सूख से जाते हैं।
सूरज दादा चमक-चमक कर,
गर्मी जब बरसाते हैं।
भाप बनकर सारा ही पानी,
मेघ घने बन जाते हैं।
उमड़-उमड़ और घुमड़-घुमड़कर,
आपस में टकराते हैं।
गड़-गड़, भड़-भड़, गड़ाम-भड़ाम,
बिजली चम-चम चमकाते हैं।
चम-चम, चम-चम बिजली चमके,
झम-झम, झम-झम पानी बरसे।
नदियां-नाले, ताल-तलैया फिर से सब भर जाते हैं।
सूरज दादा सारा पानी भाप बनाकर लाते हैं।

जब-जब हम हैं जल बरसाते,
बच्चे सब आ जाते हैं।
उछल-उछल और कूद-कूद कर,
खूब धमाल मचाते हैं।
ताल-तलैया, नदियां-नाले,
फिर से सब भर जाते हैं।
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कवियित्री परिचय
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पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’
माता का नाम-श्रीमती कलावती जोशी
पिता का नाम-स्व.श्री गौरीदत्त जोशी
शिक्षा-टि॒‌पल एमए इतिहास, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, संगीत प्रभाकर,
विद्यावाचस्पति, बीएड, बीटीसी (प्रशिक्षण)
संप्रति-शिक्षक (राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय उत्तराखंड)
मोबाइल–8267902090
ईमेल-mailto.joshipushpa@gmail.com

विधा-कविता, कहानी, गीत, नवगीत, दोहे, छंद लघुकथा, लेख/निबन्ध आदि।

प्रकाशित पुस्तकें-
1–प्राकाम्य काव्यकलश,
2–नाचें परियां छम-छम-छम,
3–मुन्ना गाए ये हरदम 4–धूम-धूम-धूम-तक-धिना-धिन,
5–झूम-झूमकर नाचें हम’,
6–बालकाव्यांजलि
7–कहानी संग्रह (प्रकाशनाधीन)

सम्मान/पुरस्कार-
1–गवर्नर अवार्ड-1015 ( मय धनराशि)
2—विभिन्न राज्यों की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न साहित्यिक सम्मान/पुरस्कार आदि।
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..26/12/2020
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