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वरिष्ठ कवि भारती पांडे की एक रचना… अमृत महोत्सव की बधाई

भारती पाण्डे
देहरादून, उत्तराखंड 


अमृत महोत्सव की बधाई

प्रचीर पर तिरंगा, प्राची पर अरुणाई
जागा मिहिर, छिटका तिमिर
प्रकृति ने ली अंगड़ाई
प्रणव बेला सखी!
अमृतोत्सव की बधाई।

सर्रसराई पौन, गुनगुनाया मौन
चहका खगवृंद, झूम उठा भौम
गोपुर से शंखनाद, मस्जिद-अजान
घन घन घंटा निनाद
आरती मुस्काई सखी!
अमृतोत्सव की बधाई।

इंद्रधनु-कृष्णमेघ,
आभा मनोहारी
क्रांतिवीरों की गाथा
देश बलिहारी
स्वराज-वीरों के गर्जन प्रचंड
परतंत्रता से मुक्ति अहो!
अमृत महोत्सव सखी!
अमृतोत्सव की बधाई।

नित प्रथम स्मरणीय
देश के वे त्यागी, बलिदानी
स्वतंत्रतार्थ शूली चढ़ी
जिनकी जवानी
स्मरणाभिनंदन हेतु पंद्रह अगस्त आयी सखी!
अमृतोत्सव की बधाई।

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