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देश के मशहूर कवि/शाइर चेतन आनंद की एक ग़ज़ल … आश्वासन देंगे राहत ऐ पसीने मुस्कुरा

चेतन आनंद
गाजियाबाद

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ग़ज़ल

आश्वासन देंगे राहत ऐ पसीने मुस्कुरा।
कह रही है फिर सियासत ऐ पसीने मुस्कुरा।

जिस जगह पानी नहीं है, दूध की होगी नदी,
है हवाओं में शरारत ऐ पसीने मुस्कुरा।

नींद लेकर ख़्वाब घर-घर बँट रहे हैं देख ले,
छोड़ दे अब तो बग़ावत ऐ पसीने मुस्कुरा।

जो मिलेगा वो तो सारा टैक्स में कट जाएगा,
कम नहीं होगी ये चाहत ऐ पसीने मुस्कुरा।

प्यार के पल छिन रहे हैं, सुख कहीं दिखता नहीं,
देखकर नफ़रत ही नफ़रत ऐ पसीने मुस्कुरा।

हैं इलेक्शन फिर दलित की झोंपड़ी को देखकर,
हँस रही है अब हुक़ूमत ऐ पसीने मुस्कुरा।

इक तो ये महंगाई उसपे साँस लेना भी मुहाल,
आ गई आफ़त पे आफ़त ऐ पसीने मुस्कुरा।

अश्क़ बांटेंगे खुशी तो मौत देगी ज़िन्दगी,
भूख देगी सबको दावत ऐ पसीने मुस्कुरा।

भूल जा हक़, अब इमरजेंसी लगी है रात-दिन,
व्यर्थ है जाना अदालत ऐ पसीने मुस्कुरा।

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