देश के मशहूर कवि/शाइर चेतन आनंद की एक ग़ज़ल … प्यार की राहों पे चलके नफ़रतों से घिर गये
चेतन आनंद
ग़ाज़ियाबाद
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ग़ज़ल
प्यार की राहों पे चलके नफ़रतों से घिर गये।
देखिये तो हम सियासी साज़िशों से घिर गये।
भूख, महंगाई, इलेक्शन, रोज़ कोरोना नया,
ऐ ख़ुदा हम किस तरह के हादसों से घिर गये।
डर समाया है दिलों में, अश्क़ आंखों में दिखें,
जाने कैसे मौत के हम कहकहों से घिर गये।
हमने सोचा था यहाँ हमदर्द ही हमदर्द हैं,
उनकी महफ़िल में मगर हम मसखरों से घिर गये।
हमको तो बेफ़िक्र दरिया बनके बहना था मगर
ख़्वाहिशों के हम हज़ारों पर्वतों से घिर गये।।