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कवि/शाइर चेतन आनंद की एक ग़ज़ल… चेहरों में क्या रखा है, आप अंतस देखिये

डॉ चेतन आनंद
गाजियाबाद, उप्र


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ग़ज़ल

चेहरों में क्या रखा है, आप अंतस देखिये।
उग रहे लोगों में अब नफ़रत के फंगस देखिये।

उड़ती रंगत और घटते प्रेम का रस देखिये।
बोलिये बिल्कुल नहीं, चुपचाप ही बस देखिये।

लोग अच्छाई कहाँ पर देखते हैं आजकल,
हो रहा है अब बुराई पर ही फोकस देखिये।

ज़हर फैला है नशे का अब हमारे जिस्म में,
देखना है तो ज़माने भर की नस-नस देखिये।

सच न निकले, इसलिये अपनी ज़ुबाँ ही काट ली,
किस क़दर उसने निकाली मुझसे खुन्नस देखिये।

नाम आते ही ज़ुबाँ पर हिलने लगता है ये दिल,
और आँसू आँखों से बहते हैं बरबस देखिये।

आते-आते मेरे घर क्यों रुक ही जाती है खुशी,
चल पड़ी, फिर चल पड़ी मुड़कर वो वापस देखिये।

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