कवि/साहित्यकार डॉ राजेश्वर उनियाल की केदारनाथ त्रासदी के समय रचित एक रचना… मौन क्यों केदार है..
आज से आठ वर्ष पूर्व 16 जून 2013 को केदारनाथ में आई त्राषदी से व्यथित होकर डॉ राजेश्वर उनियाल जी ने एक कविता ‘मौन क्यों केदार है’… की रचना की थी, शब्द रथ के पाठकों के लिए समक्ष प्रस्तुत है रचना …
डॉ राजेश्वर उनियाल
मुंबई, महाराष्ट्र
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मौन क्यों केदार है
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पुकारता पहाड़ है या गंगा की दहाड़ है,
बोलो बाबा भोलेनाथ मौन क्यों केदार है।
कैसी तेरी लीला और ये कैसा हाहाकार है,
बोलो बाबा भोलेनाथ मौन क्यों केदार है।।
मंदाकिनी बह रही मंद सी मचल रही,
ये ऐसा आज क्यों सैलाब सी उबल पड़ी।
बंधनों को तोड़कर वो लांघती दीवार है,
चटटानों को भेदकर करती संहार है।।
चार दिशा चार धाम चारों ओर त्राहिमाम,
भटक रहे सभी मच रहा कोहराम।
कहाँ है तू विराजता कहां वो तेरा द्वार है,
ये कैसा तेरा खेल है कैसा चमत्कार है।।
पुत्र ढूंढता मात को मात अपने नाथ को,
नाथ बोले जगन्नाथ कौन तेरा नाथ है।।
नाव डूबती रही व डूब रहा संसार है,
तू डोर ले कहां गया कहां पतवार है।।
द्वार पर कोई पड़े मलवे में कई दबे,
घर गांव जानवर मार्ग भी ढह रहे।
भरी दोपहरी में आज कैसा अंधकार है,
पेड खेत कट रहे रो रहा पहाड है।।
धारी की हे धारी मां नादान हैं हम सभी,
भूल हमसे हुई भूल ना पाएंगे कभी।
कर दया दयालु तू दया की भंडार है,
आशीष दे माता तेरी महिमा अपार है।।
रौद्र रूप छोड़ बाबा तुझे हम मनाएंगे,
ज्योत जलाने केदार फिर हम आएंगे।।
भोलेनाथ शंभुनाथ ये भक्त की पुकार है,
चारों ओर गूंज रही तेरी जयकार है।।
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कवि परिचय
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नाम-डॉ राजेश्वर उनियाल
जन्म दिनांक- 01-06-1960
जन्म स्थान– श्रीनगर गढ़वाल (उत्तराखंड)
शैक्षणिक योग्यताएँ– पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, हिंदी व अंग्रेजी में निष्णात
-मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी के लोक-साहित्य का सामाजिक
-सांस्कृतिक अनुशीलन (कुमाऊँनी एवं गढ़वाली के विशेष संदर्भ मे) विषय में पीएचडी
अनुभव-पत्रकारिता- 5 वर्ष
राजभाषा– 36 वर्ष, सहायक निदेशक/उप-निदेशक(राजभाषा),
भारत सरकार
प्रकाशित पुस्तकें (12)- उपन्यास-पंदेरा (मंचित) एवं भाड़े का रिक्शा (पुरस्कृत)
-काव्य कृतियां – शैल सागर, मैं हिमालय हूँ, उत्तरांचल की कविताएं (सं), मेरु उत्तराखंड महान (उत्तराखंडी काव्य) एवं Mount-n-Marine
-कहानी संकलन- डरना नहीं पर…,उत्तरांचल की कहानियां (सं)
-नाटक- वीरबाला तीलू रौतेली
-पुस्तक- उत्तरांचली लोक-साहित्यएवं हिन्दी लोक-साहित्य का प्रबंधन(पु.)
अन्य सृजन– 12 साहित्यिक पुस्तकों का लेखन एवं 11 वैज्ञानिक पुस्तकों का सह-लेखन तथा से अधिक 2500 रचनाओं व कई पुस्तकों व पत्रिकाओं का संकलन व सम्पादन आदि
पुरस्कार (35+) – माननीय राष्ट्रपति से साहित्य सम्मान, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी एवं कृषि मंत्रालय, भारत सरकार तथा विभिन्न संस्थाओं से पुरस्कार– 35+
संप्रति- सेवानिवृत उप निदेशक (राजभाषा), भारत सरकार, मुंबई
सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, (2015-18 व 2018-20) तथा कई साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं से संबंध
– 9869116784/8369463319 uniyalsir@gmail.com