वरिष्ठ कवि डाॅ सत्यानन्द बडोनी की एक रचना… बहता जल है हिन्दी भाषा
डाॅ सत्यानन्द बडोनी
देहरादून, उत्तराखण्ड
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बहता जल है हिन्दी भाषा
भाषाओं की गौमुख हिन्दी, सभी की जननी है हिन्दी।
हिन्दी ही तो भाषा-बोली, है गाॅव-गली की वह होली।
विभिन्न हमारी भाषा-बोली, भिन्न-भिन्न अद्भुत हैं टोली।।
हिन्दी भाषा घर परिवार, छोर नहीं है अथाह अपार।
और भाषाओं का नहीं परिवार, हिन्दी भाषा सा परिवार।।
सदानीरा गंगा सी धारा, बहता जल है हिन्दी भाषा।
हिन्दी हो अब राष्ट्रभाषा, जन-मन की है अभिलाषा।।
स्पन्दन वन्दन हिन्दी हमारी, है हिन्दी खुशियों की क्यारी।
व्रत, पर्व, त्योहार की पारी, हिन्दी ज्ञान-प्रज्ञान हमारी।।
विश्व गुरू की है पहचान, राष्ट्रभाषा हो यही आह्वान।।