Wed. Dec 17th, 2025

दल बादल की राजनीति पर कवि जीके पिपिल की चुटकी … उनकी नज़र से उनके दिल से दूर होकर निकले

जीके पिपिल
देहरादून, उत्तराखंड


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उनकी नज़र से उनके दिल से दूर होकर निकले
उनकी साँस घोटु घुटन से मजबूर होकर निकले।
अपने ही सँवारे हुये घरोंदे से भला कौन भागेगा
ग़नीमत है निकले तो भले ही चूर होकर निकले।।

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