वरिष्ठ कवि जसवीर सिंह ‘हलधर’ का एक गीत… तिरंगा लहर रहा है…
जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून, उत्तराखंड
गीत -तिरंगा (75वां स्वतंत्र दिवस )
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ध्वजा में मौला और महेश,
सजे हैं गुरुओं के उपदेश।
हमारा प्यारा भारत देश,
तिरंगा लहर रहा है।।
हिमालय है जिसका सरताज,
सिंधु तक फैला जिसका राज।
पुराना है सबसे इतिहास,
आदि से अब तक हुआ विकास।
ॐ का व्योम तलक संदेश।।
तिरंगा लहर रहा है।।1।।
बड़ा है जाति धर्म विन्यास,
कई भाषाएं करें निवास।
सैंकड़ों नदियों से श्रृंगार,
सभी ऋतुओं का है उपहार।
भिन्न हैं मौसम के परिवेश।।
तिरंगा लहर रहा है।।2।।
सभी से साझा करते शोक,
विश्व में फैलाया आलोक।
नम्रता मांटी की पहचान,
सभी है दिव्य आर्य संतान।
मानते वेदों का आदेश।।
तिरंगा लहर रहा है।।3।।
दासता झेली है कई साल,
हिला ना मूल झुका ना भाल।
आज है अखिल विश्व में मान,
चाँद मंगल तक पहुंचे यान।
गरीबी है थोड़ी सी शेष।।
तिरंगा लहर रहा है।।4।।
सजग हैं जल थल में जांबाज,
फिरें नभ में प्रहरी ज्यों बाज।
किया “हलधर”ने पूरा गा ,
सदा हो हिंदी का सम्मान।
विश्व में पाए जगह विशेष।।
तिरंगा लहर रहा है।।5।।