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वरिष्ठ कवि जय कुमार भारद्वाज की राष्ट्रभाषा पर सुंदर रचना

जय कुमार भारद्वाज
देहरादून, उत्तराखंड


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हिन्दी तो बिंदी है प्यारे हिंदुस्तान की।
भाषा नहीं है केवल यह पहचान है हिंदुस्तान की।

देश जाति का मान है भाषा
जन-जन का सम्मान है भाषा
गर्व करे मानवता जिस पर
वह गौरव अभिमान है भाषा।
जननी यही है देखो अखिल ज्ञान विज्ञान की।

भाषा तो होती है माता
आदि अन्त का इससे नाता
व्यर्थ धरा पर जीवन उसका
जो इसका गुणगान न गाता ।
रक्षा करनी है हम सबको
इस गौरव सम्मान की।

नगर-नगर गुणगान हो इसका
डगर-डगर जय गान हो इसका
सबसे आगे रहे विश्व में
और ऊँचा स्थान हो इसका।
आओ मिलकर करें कामना
हम इसके उत्थान की।
भाषा नहीं है केवल यह
पहचान है हिंदुस्तान की।

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