कवि ज्योत्स्ना जोशी की एक रचना … वो मैं थी
ज्योत्स्ना जोशी
देहरादून, उत्तराखंड
——————————–
मैं वो थी
जो तुमसे जुदा हुई थी
वो मैं नहीं थी
मुझमें घटते तमाम
उतार चढ़ाव थे।
जो तुमसे ख़फ़ा हुईं थीं
मैं वो नहीं थी
मुझमें उतरते संभावनाओं
और आस के टुकड़े थे।
जो तुमसे बेवफा हुई थी
वो मैं नहीं थी
मुझमें ठहरते हालात के
साए थे।
जो तुमसे बेखटके बेशाख्ता
पहली मुलाकात के उन चंद लम्हों में
मिली थी ‘मैं वो थी’
जो तुममें प्रेम के कहे अनकहे
शब्दों में संग संग गुजरी
‘मैं वो थी’।।