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वरिष्ठ कवि पागल फ़क़ीरा की एक ग़ज़ल… मुझको पत्थर दिल से मोहब्बत हुई है…

पागल फ़क़ीरा

मुझको पत्थर दिल से मोहब्बत हुई है,
मुझसे इश्क़ में थोड़ी सी शरारत हुई है।

मुझ पर लगी तोहमत की ख़ातिर ही तो,
मोहब्बतों के दुश्मन से बग़ावत हुई है।

तुम्हारी ग़म-ए-जुदाई में तड़पता रहता हूँ,
मुझे ख़ुद अपने आप से नफ़रत हुई है।

प्रेमियों के जुदाई का दर्द दूर करने को,
मुक़द्दस रूह से थोड़ी सी शराफ़त हुई है।

मोहब्बत को भूल गई तू गैर की ख़ातिर,
मुझको दिल जलाने की आदत हुई है।

तुम्हारे नाम कर चुका था ज़िन्दगी सारी,
इश्क़ में मेरे नाम की फ़जीहत हुई है।

इश्क़ को फ़क़ीरा ने अपना ख़ुदा बनाया,
उस ख़ुदा की थोड़ी सी इबादत हुई है।

 

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