Fri. Nov 22nd, 2024

कवि पागल फकीरा की एक रचना… बसंत के मौसम का अहसास है मुझे..

पागल फकीरा
भावनगर, गुजरात

————————————————–

बसंत के मौसम का अहसास है मुझे।
याद हमारा पहला मधुमास है मुझे।

प्रेमियों में आज मिलन की चाह है,
हमारे तुम्हारे मिलन की आस है मुझे।

ये लम्हे ये पल आज खिलाफ है मेरे,
ज़िन्दगी में अटका रही सांँस है मुझे।

चाहे कितना तड़पाये मुझे जीते जी,
तेरे रसीले अधरों की प्यास है मुझे।

तूझे ख़बर हो या न हो कोई किस्सा,
ख़बर तेरा वो किस्सा-ए-खास है मुझे।

फ़क़ीरा ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं,
आजकल तेरी हर सजा रास है मुझे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *