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डॉ.शशि जोशी “शशी” की एक रचना… किंतु आदमी पहुंच सका न सका

डॉ.शशि जोशी “शशी”

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किंतु आदमी पहुंच सका न सका

उठा धरा से, उड़ा गगन में, पहुंचा नभ के तारों तक!
किंतु आदमी पहुंच न सका, मन से मन के द्वारों तक!

चंदा जीता, मंगल जीता जाने क्या-क्या जीत लिया!
सोख लिया नदियों का पानी, भरा समंदर जीत लिया।

किंतु प्रेम को जीत न पाया, पहुंचा न परिवारों तक..!

सूरज भी एक नया उगाया, रात को दिन सा चमकाया।
मोबाइल के अंदर सारी दुनिया को ही ले आया।

नहीं ला सका मानवता को नेह भरे जयकारों तक..
उठा धरा से उड़ा गगन में..!

©® डॉ.शशि जोशी “शशी”

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