बेटी दिवस पर विशेष: सुलोचना परमार “उत्तरांचली” की गढ़वाली कविता …
सुलोचना परमार”उत्तरांचली”
देहरादून, उत्तराखंड
———————————————————————–
बेटी (बालिका) दिवस
आज का दिन ही भारत म
इंदिरा गांधी तैं प्रधानमंत्री बनाई
नारी शक्ति का रूप म हमन यू
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाई।
क्वी फोड़ना ढीका यख फुंड
क्वी त हाळ लगाणी छन
गोरु भैंसा पालि क्वी त
अपणु परिवार चलाणी छन।
सुबेरे गईं स्या रुमुक म औंदी
बण बिटी घास गडोली ल्हेकि
फिर भी हँसदी रौंदी हरदम
स्कूल मा भी अब्बल ऐकी।
कई किलोमीटर पैदल चलि कि
अपना स्कूल म जांदी वा
खेलु म भी नौ कमैं की
पढ़े म फस्ट भी आंदि वा।
अपना हुनर से ई बेटी त
दुनियाँ म नौ त कमोणी छन
हर क्षेत्र म अग्ने बढ़ी की
आसमान म उड़णी छन।
बेटी ज्वाल्पा, बेटी ही नन्दा
बेटी ही धारी देवी छन
बेटी दुर्गा, बेटी लक्ष्मी
बेटी ही तीलू रौतेली छन।।