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कवि सुनील शर्मा की एक नज़्म… तेरा चेहरा है आइने जैसा

सुनील शर्मा
गुरुग्राम, हरियाणा


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तेरा चेहरा है आइने जैसा
हाल-ए-दिल मुझसे मेरे यार
छुपाता क्यों है!

आज कर लेने दे खामोश निगाहों को खता
शर्म से नजरें मेरे यार झुकाता क्यों है

रोक मत आज छलक जाने दे पैमानों को
पूरे हो जाने दे दिल के सभी अरमानों को
खुल के जज्बात बयां कर दे, सताता क्यों है
हाल-ए-दिल मुझसे…

प्यार तेरा मेरी रग-रग में उतर जाने दे
बिखरी जुल्फों को कुछ और बिखर जाने दे
उंगलियां दांतों में दिलदार दबाता क्यों है
हाल-ए-दिल मुझसे…

तेरे आने से दिल की महफ़िल गुलजार हुई
मेरे हम दम ये जिंदगी भी तलबगार हुई
शर्मा बातो के नश्तर से चुभाता क्यों है
हाल-ए-दिल मुझसे…

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