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सुनील शर्मा की कलम से… मेरा देश हुआ शर्मिंदा मुट्ठी भर गद्दारों से

सुनील शर्मा
गुरुग्राम हरियाणा

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देश हुआ शर्मिंदा

मेरा देश हुआ शर्मिंदा मुट्ठी भर गद्दारों से!!
घायल हुआ तिरंगा हरदम अपनी तलवारों से!!
जो वीरों की कुर्बानी का कर्ज चुकाना भूल गए!
कागज के टुकड़ों में बिक कर फर्ज निभाना भूल गए!
ऐसे देशद्रोहियों का मैं गुणगान नहीं करता!!

जो पीछे से वार करे मैं उसका सम्मान नहीं करता!!

है कुछ लोग रास्ता रोका करते सुखद सवेरो का!
आमंत्रण करते रहते हैं काले सघन अंधेरों का!
उनके काले कर्म उजालों को कैसे सह पाएंगे!
उनकी कुटिल कहानी को उजले दर्पण कह जाएंगे!
मातृभूमि का मान हरे मैं उनका मान नहीं करता!

जो पीछे से वार करे मैं उसका सम्मान नहीं करता!

कब तक हंसों के मोती को कागा ग्रास बनाएंगे!
अन्न दान करने वालों का कब तक उपहास कराएंगे!
जो लुटिया से लहू खींचकर निजी भवनों को सींच रहे!
निर्धन बच्चों के मुख से जो लोग निवाला खींच रहे!
ऐसे लोगों के भंडारों पर मै अनुदान नहीं करता!

जो पीछे से वार करे मैं उसका सम्मान नहीं करता!!

कर्जदार हैं रोम-रोम उन सरहद के रख वालों का!
काल को भी आंख दिखला दे ऐसे हिम्मत वालों का!
जिनकी फौलादी छाती ने जिद्दी पर्वत भी ठेले हैं!
अधरों पर मुस्कान सजाकर खेल मौत का खेले हैं!
ऐसे शेर सूरमाओ पर जो अभिमान नहीं करता!

जो पीछे से वार करे मैं उसका सम्मान नहीं करता
ऐसे देशद्रोहियों का मैं गुणगान नहीं करता!!

!!जय हिंद जय भारत वंदे मातरम!!

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