कवि सुनील शर्मा की एक रचना… आगे पग तो रखना होगा
सुनील शर्मा
गुरुग्राम, हरियाणा
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आगे पग तो रखना होगा
समर शेष है, सफर शेष है
बंदे तुझको चलना होगा
कितने कंटक चुभें पांव में
आगे पग तो रखना होगा!!!
जीवन बने जहर का प्याला
पीना और निगलना होगा
चाहे कितनी हों बाधाएं
गिर कर तुझे संभलना होगा
आगे पग तो रखना होगा!!!
अंधियारा हो कितना गाढा
दीप सरिस खुद जलना होगा
काल घटा घिर कर भी आए
प्राणों में बल भरना होगा
आगे पग तो रखना होगा!!!