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युवा कवि विनय अन्थवाल की एक कविता… हमें फिर उन्मुक्त कर दो

विनय अन्थवाल
देहरादून, उत्तराखंड
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हमें फिर उन्मुक्त कर दो
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सुनो प्राणेश मेरे
कोरोना नष्ट कर दो
जीने की राह नूतन
हम सभी को आप दे दो
हैं सभी हम तो तुम्हारे
हमें फिर उन्मुक्त कर दो।

है विकट ये काल कोरोना
दुष्कर हुआ जीवन को जीना
अपराध सारे माफ़ कर दो
हमें फिर उन्मुक्त कर दो।

भयभीत सारे हो रहे हैं
मनुष्य आज हारे हुए हैं
मनुज घुट-घुट जी रहा है
पाप फिर भी बढ़ रहा है ।

मानता हूँ है जरूरी
हम सभी को दण्ड देना
हम वत्स सारे आपके हैं
निसर्ग को निर्मल बना दो
हमें फिर उन्मुक्त कर दो।

आरोग्य का वरदान दे दो
मनुष्यों को जीवनदान दे दो
कोरोना को नष्ट करके
हमें अभयदान दे दो ।

हैं सभी हम तो तुम्हारे
हमें फिर उन्मुक्त कर दो।

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