होली पर कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” का गीत… होली मिलन के गीत.. गाओ गाओ से मनमीत.. राधा कब से रह तके है
वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
देहरादून, उत्तराखंड
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होली मिलन के गीत
गाओ गाओ से मनमीत
राधा कब से रह तके है।
रंगों के इस मौसम में तो
सब के ही तन रंग गए
जिनके संग हैं प्रियतम प्यारे
उनके तो मन भी रंग गए
मेरा तो जीवन रंग दो तुम
हो जाय प्रीत की जीत
होली मिलन के गीत….
फागुन की बहार ऐसी
तन मन उड़ उड़ जाए
नीले पीले लाल गुलाबी
हरियाली प्रकृति की भाए
कितनी मनभावन उल्लासित
है अपनी सनातन रीत
होली मिलन के गीत….
शीत गई है बीत पवन से
अब तो मैं बतियाऊं
भ्रमर करे गुंजार चमन में
उसकी चाहत पे वारी जाऊं
झूम झूम के नाचूं मैं
तुम छेड़ो तो संगीत
होली मिलन के गीत….
होली मिलन के गीत
गाओ गाओ से मनमीत
राधा कब से रह तके है।
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प्रकाशित 29/3/2021
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वाह वाह क्या बात है