देवप्रयाग का प्रवीण ध्यानी बना पोस्ट डॉक्टोरल फेलो, जर्मनी में हुआ चयन
-जर्मनी में चयन होने पर लोगों ने जतायी खुशी। ध्यानी परिवार पीएचडी परिवार के रूप में जाना जाता है
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। देवप्रयाग निवासी डा. प्रवीण ध्यानी का कोब्लेंज़ यूनिवर्सिटी, कोब्लेंज, जर्मनी में बतौर पोस्ट डॉक्टोरल फेलो के रूप में नियमित वेतनमान पर चयन हुआ है। अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर हुयी प्रतिस्पर्धा में पहले ही प्रयास में डा. प्रवीण ने सफलता हासिल की है।
अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप उन अध्येताओं को प्रदान की जाती है, जिन्होने सक्षमता से शोध कार्य के जरिये अपने कौशल का सफल प्रदर्शन किया हो, पीएचडी की उपाधि प्राप्त की हो और संबद्ध विषय में अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर उच्च श्रेणी का शोध कार्य किया हो।
ग्राम रामपुर देवप्रयाग निवासी डा. प्रवीण ध्यानी उत्तराखण्ड राज्य के होनहार युवा वैज्ञानिक हैं। हे.न.ब. गढ़वाल (केन्द्रीय) विश्वविद्यालय से बायोटैक्नोलाजी में परास्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद डा. प्रवीण का चयन विज्ञान और तकनीकी विभाग, भारत सरकार द्वारा शोध प्रशिक्षण हेतु बायोटेक कॉन्सॉर्टियम आफ इंडिया, बैंगलोर में हुआ था। कुमांऊ विश्वविद्यालय से बायोटैक्नोलॉजी में पीएचडी प्राप्त करने के बाद डा. प्रवीण ने रिसर्च एसोसिएट के रूप में गो.ब. पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यायवरण संस्थान, अल्मोड़ा व भारतीय हिमालयी जैव सम्पदा प्रौधोगिकी संस्थान पालमपुर, हिमाचल में उच्च कोटि का शोध कार्य किया। वर्तमान में वह बायोटक्नोलॉजी विभाग कुमांऊ विश्वविद्यालय परिसर भीमताल में प्रध्यापक के रूप में कार्य कर रहे थे।
युवा वैज्ञानिक डा. प्रवीण को उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौधोगिकी परिषद उत्तराखण्ड व भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ, पश्चिम बंगाल द्वारा युवा वैज्ञानिक अवार्ड सेे उनकी शोध उपलब्ध्यिों हेतु, सम्मानित किया जा चुका है। स्पेन और अमेरिका में आयोजित अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठीयों में उन्होने भारत सरकार की ओर से वैज्ञानिक व्याख्यानों को देने हेतु सफलतापूर्वक प्रतिभाग किया है।
डा. प्रवीण के जर्मनी में पोस्ट डॉक्टोरल फेलो के रूप में चयन होने पर उनके माता, पिता, भाई व परिजन खुश हैं। गौरतलब है कि डा. प्रवीण श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीपी ध्यानी के जेष्ठ पुत्र हैं। इनके परिवार में 10 लोग पीएचडी उपाधि धारक हैं। इनके परिवार को देवप्रयाग समाज में पीएचडी परिवार के रूप में जाना जाता है।