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प्रेमचंद अग्रवाल मारपीट प्रकरण: पुलिस ने मंत्री को नहीं बनाया आरोपी, पीआरओ पर मुकदमा

-गत मंगलवार को सड़क पर मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल एक व्यक्ति को थप्पड़ मार रहे हैं। साथ ही उनका स्टाफ लात-घूंसे बरसा रहा है। पीड़ित ने तहरीर में भी मंत्री को आरोपी बनाया है। लेकिन, पुलिस ने एफआईआर में मंत्री का नाम शामिल ही नहीं किया।

ऋषिकेश में बलवा और मारपीट का मुकदमा दर्ज करते समय मंत्री का नाम आते ही पुलिस सहम गई। पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया। लेकिन, उसमें सीधे मंत्री को नामजद नहीं किया। मंत्री के पीआरओ का नाम ही एफआईआर में लिखा गया। जबकि, तहरीर के अनुसार शिकायकर्ता के साथ पहले गाली-गलौज मंत्री ने ही की थी। मले में जब पुलिस कप्तान से सवाल किया गया तो उन्होंने मंत्री का नाम भी शामिल होने की बात कही। लेकिन, पुलिस की यह कार्रवाई चर्चाओं में है।

दरअसल, गत मंगलवार को सड़क पर मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और उनका स्टाफ एक व्यक्ति के पीछे भागते हुए उससे मारपीट करते दिख रहे थे। मामले में जांच हुई तो इस बात की पुष्टि हो गई कि वीडियो में मंत्री और उनका स्टाफ ही है। इसके बाद बुधवार को पुलिस कार्रवाई का दौर शुरू हुआ। पहला मुकदमा मंत्री के गनर गौरव राणा ने दर्ज कराया। इसमें सुरेंद्र सिंह नेगी और उनके साथी धर्मवीर पर लूट, लोक सेवक के साथ मारपीट और अन्य धाराएं लगाई गई हैं।

दूसरा मुकदमा सुरेंद्र सिंह नेगी की तहरीर पर दर्ज किया गया। सुरेंद्र सिंह नेगी ने तहरीर में लिखा कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने शुरुआत में उनके साथ गाली-गलौज की थी। गंदी-गंदी गालियां और धमकी दी गई। इसके बाद धर्मवीर ने मंत्री के पीआरओ कौशल बिजल्वाण व गनर पर मारपीट व गाली-गलौज का आरोप लगाया। पुलिस ने इस तहरीर पर भी कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज किया। लेकिन, एफआईआर में आरोपी के तौर पर कौशल बिजल्वाण को ही दर्शाया। इसमें बलवा और मारपीट की धाराएं लगाई गईं।

एक घटनाक्रम में जब मुकदमा दर्ज होता है तो नियमानुसार तहरीर में आए सभी नामों को पुलिस एफआईआर में आरोपियों के कॉलम में लिखती है। जो अज्ञात में यदि होते हैं तो उन्हें जांच के दौरान जोड़ लिया जाता है। सवाल है कि क्या पुलिस को अपने स्टाफ के गनर का नाम भी नहीं पता था? मंत्री का नाम शुरुआत में ही एफआईआर में आरोपी के रूप में क्यों नहीं लिखा गया? पत्रकारों ने जब इस स्थिति को साफ करने के लिए एसएसपी दलीप सिंह कुंवर से बात की तो उन्होंने बताया कि एफआईआर शॉर्ट में होती है। मंत्री का नाम भी है। सवाल उठ रहे हैं कि जब जांच शुरू होगी तो क्या मंत्री का नाम आरोपियों में शामिल किया जाएगा?

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