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धामी उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री, कभी मंत्री नहीं रहे सीधे बने मुख्यमंत्री.. पढ़िए जीवन परिचय

-पुष्कर सिंह धामी महज 45 वर्ष की उम्र में राज्य के शीर्ष राजनैतिक पद पर पहुंचे हैं।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं। धामी महज 45 वर्ष की उम्र में राज्य के शीर्ष राजनैतिक पद पर पहुंचे हैं। साथ ही वह राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री भी हैं जो कभी सरकार में मंत्री नहीं रहे, वह सीधे मुख्यमंत्री बने हैं।

धामी का जीवन परिचय

पुष्कर सिंह धामी, विधायक, 70 विधान सभा क्षेत्र, खटीमा, ऊधमसिंह नगर (उत्तराखण्ड)

उत्तराखण्ड प्रदेश के अति सीमान्त जनपद पिथौरागढ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडीहाट में जन्म हुआ। सैनिक पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति को ही धर्म के रूप में अपनाया। आर्थिक अभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। तीन बहनों के बाद अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारियां हमेशा बनी रही।

विधानसभा का नाम : 70, विधान सभा क्षेत्र, खटीमा

पत्नी का नाम : श्रीमती गीता धामी

शैक्षिक योग्यता : (क) शैक्षणिक योग्यता–स्नातकोत्तर
(ख) व्यावसायिक–मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध के मास्टर

जन्म तिथि : 16.09.1975

प्रारंभिक जीवन

माता का एक धर्मपरायण, मृदुभाषी एवं अपने परिवार के प्रति समर्पित धरेलू महिला होने तथा पिता की सैनिक होने के कारण देश की सरहद पर हर पल तन-मन न्यौछावर करने की दशा भक्ति की प्ररेणा से ओत-प्रोत वाल्य मन-मस्तिष्क में सदैव देश एवं प्रदेश के लिए कुछ कर गुजरने की ललक के कारण बचपन से ही स्काउट गाइड, एनसीसी, एनएसएस आदि में प्रतिभाग एवं समाजिक कार्यो को करने की भावना तथा ’’संधे शक्ति कलयुगें’’ के मूलमंत्र के आधार पर छात्र शक्ति को उनके हकों एवं उत्थान के लिए एक जुट करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुडने के मुख्य कारक रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को एकजुट करके निरन्तर संधर्षशाील रहते हुए उनके शैक्षिणक हितों की लडाई लडते हुए उनके अधिकार दिलाये गये। शिक्षा व्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। राजनितिक दल भारतीय जनता पार्टी से जुडने का कारण भी राष्ट्रीयता, देशभक्ति, कमजोर एवं युवा बेरोजगार के प्रति कुछ कर गुजरने की भावना रही। यही राजनीति में आने का उदे्श्य रहा।

राजनितिक यात्रा

सन् 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया है। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिा निभाई।

पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी से सीखी राजनीतिक बारीकियां

राज्य की भौगोलिक परिस्थियों को नजदीक से समझते हुए क्षेत्रीय समस्याओं की समझ और उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के साथ एक अनुभवी सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया। कुशल नेतृत्व क्षमता, संधर्षशीलता एवं अदम्य सहास के कारण दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये गये। संधर्षो के परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में दिनांक 11.01.2005 को प्रदेश के 90 युवाओं को जोड़कर विधान सभा का घेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की गयी, जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है।

2012 में पहली बार विधायक बनकर पहुंचे विधानसभा

कुशल नेतृत्व क्षमता तथा शैक्षिणिक एवं व्यावसायिक योग्यता के कारण पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में वर्ष 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहते हुए क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान कराने में आशातीत सफलता प्राप्त की, जिसका प्रतिफल जनता द्वारा 2012 के विधान सभा चुनाव में ’’विजयश्री’’ दिलाते हुए अपने जनप्रिय विधायक के रूप में विधानसभा में पहुंचाकर उनकी आवाज को और भी अधिक बुलन्दी के साथ सरकार के समक्ष उठाते हुए क्षेत्रीय जनता को उनके मौलिक अधिकारों एवं जीवन यापन के हकों को दिलवाने के लिए उनके विधानसभा प्रतिनिध होने का गौरव प्राप्त हुआ है।

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