पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’ के मित्रों को समर्पित मुक्तक…
पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड
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मुक्तक
(१)
खुशी दें, दिल को दें राहत, सहृदय सद्वृत्त रहते हैं।
रहें दिल में सहोदर-से, उन्हीं को मित्र कहते हैं।
बचाते हैं बुराई से, छिपाते जग से हैं कमियाँ-
महकते हैं, जो महकाते, सुगंधित इत्र कहते हैं।
(2)
राज दिल के कई ऐसे, कहें किससे! हिचकते हम।
कि दर्दे ग़म बयां करके, मित्र संग हैं सिसकते हम।
पावन,मन लुभावन ये, इन्हें सन्मित्र कहते हैं ।
अनुपम हैं सहोदर-से, नहीं इनसे झिझकते हम।