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पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’ की एक कविता… बचपन मेरे प्यारे-प्यारे

पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’
शक्तिफार्म, सितारगंज
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड
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बचपन मेरे
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बचपन मेरे प्यारे-प्यारे,
तुम न कभी भी जाना रे!
पापा के काँधे, मम्मी की,
गोदी सदा चढ़ाना रे!

रोज सुनाएँ दादी-नानी,
हमको लोरी और कहानी।
सूरज,चंदा, परियाँ-तारे,
साथ सदा ही लाना रे!
पापा के काँधे, मम्मी की,
गोदी सदा चढ़ाना रे!

दादा-नाना के संग खेलें,
घूम-घामकर आएँ मेले।
जहाँ लगे हों चाट के ठेले,
हमको भी ले जाना रे!
पापा के काँधे, मम्मी की,
गोदी सदा चढ़ाना रे!

बचपन मेरे प्यारे-प्यारे,
तुम न कभी भी जाना रे!
पापा के काँधे,मम्मी की,
गोदी सदा चढ़ाना रे!

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