उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी 14 जुलाई को करेंगे राजभवन कूच
-उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच कर रहा है राजभवन कूच का आयोजन। रविवार को शहीद स्मारक देहरादून में हुई मंच की बैठक में लिया गया कूच का निर्णय
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी शहीदों के परिजनों के साथ ही राज्यआन्दोलनकारियों की उपेक्षा के चलते आगामी 14 जुलाई को राजभवन कूच करेंगे। कूच का आयोजन उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच कर रहा है। कूच की रणनीति को लेकर रविवार (कल) को मंच की बैठक भी हुई।
देहरादून में कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पर आयोजित बैठक में वक्ताओं के कहा कि राजभवन, शासन व सरकार की लापरवाही के कारण सैकड़ों राज्य आन्दोलनकारियों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि मंच की ओर से पिछले 2/3 वर्षो से आंदोलनकारियों के मुद्दों पर चर्चा के लिए राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांग कर रहें है़। लेकिन, राजभवन की ओर से वार्ता के लिए समय नहीं दिया गया है। पिछले 21 वर्षो में यह पहला मौका है कि जब राजभवन की ओर से समय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण एक्ट पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किये और न ही एक्ट वापस किया। इससे राज्य आन्दोलनकारियों में आक्रोश है़। मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण एक्ट राजभवन में 6 वर्षो से बंधक क्यों है, इसी नारे के साथ 14 जुलाई को बहल चौक के नजदीक से राजभवन मार्च किया जाऐगा।
राज्य आंदोलनकारी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व पूर्व दर्जाधरी रविन्द्र जुगरान ने कहा कि पिछले 6 वर्षो से शहीदों के परिजनों व तमाम राज्य आन्दोलनकारियों की समस्याओं का संज्ञान नहीं लिया। आज उनके परिवार पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। राजभवन ने एक्ट दबाकर रखा हुआ है़, हमारे सारे नौजवान उम्रदराज हो गये। इस मार्च को सफल बनाने के लिए पूर्णत प्रयास किया जाएगा।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विरेन्द्र पोखरियाल ने 14 जुलाई को राजभवन मार्च का समर्थन करते हुए कहा कि हम इस राज्य के लिए जेल और लाठी इसलिए नहीं खाई कि राज्य आन्दोलनकारियों को हमेशा सड़कों पर आना पड़ेगा। हम दोबारा लामबंद होंगे और राज्य आन्दोलनकारियों के साथ राज्य हितों को बचाने के लिए संघर्ष करेंगे।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य ही है़ कि राज्य बनने के 20 वर्ष बाद भी सड़कों पर आने को विवश होना पड़ रहा है़।
पूर्व दर्जाधरी धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों व राज्य के हितों के लिए हम अंतिम क्षणों तक संघर्ष करेंगे। अपने लोगों के लिए गोली खाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। वर्तमान सरकार ने जिस तरह लगातार उपेक्षा की है, हम उसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं। राजभवन कूच को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाएंगे।
संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने कहा कि राजभवन ने राज्य आन्दोलनकारियों के एक्ट को पिछले 6 वर्षो से दबाकर रखा हुआ है़। आज सैकड़ों आंदोलनकारी परिवारों की नौकरी पर संकट आ गया, जो निंदनीय है़। हम 14 जुलाई को पूरी ताकत के साथ मार्च करेंगे। बैठक का संचालन पूर्ण सिंह लिंगवाल ने किया।
बैठक में यह लोग रहे मौजूद
बैठक में हर्षपति काला, महेन्द्र रावत, सुरेन्द्र कुकरेती, डॉ अहतान, विक्रम भण्डारी, डीएस गुंसाई, ललित जोशी, रुकम पोखरियाल, जयदीप सकलानी, रामपाल, बलबीर नेगी, विनोद असवाल, पूर्ण सिंह राणा, युद्धवीर सिंह चौहान, बृजमोहन जोशी, धर्मपाल रावत, क्रांति कुकरेती, कमल गुंसाई, चन्द्र किरण राणा, अंबुज शर्मा, विरेन्द्र रावत, मोहन खत्री, कपिल डोभाल, गम्भीर मेवाड़, सुमन भण्डारी, लॉक बहादुर थापा, सतेन्द्र भण्डारी, सुरेश नेगी, गणेश शाह, विकास रावत, लूसून टोडरिया, प्रमोद पंत, राकेश नौटियाल, सुमित थपलियाल, धीरेन्द्र पेटवाल, हरि सिंह, सुरेश कुमार, जगदीश चौहान, अनुराग भट्ट, राधा तिवारी, अरुणा थपलियाल, सुलोचना भट्ट, सावित्री नेगी, कुसुम ठाकुर, सरोजनी गुनसोला, कौशल्या जोशी, सूर्यकान्त बमराडा, वीरेन्द्र गुंसाई, सरोजनी थपलियाल, विमला पंवार, सतेन्द्र भट्ट आदि मौजूद रहे।