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अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन..मेरा सपना हुआ पूरा: आडवाणी

देहरादून। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में श्री राम मंदिर के लिए भूमि पूजन पर खुशी जताई है। आडवाणी ने कहा कि अयोध्या में उनके श्री राम मंदिर के निर्माण का सपना पूरा हो रहा है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो रहा है। यह सुखद है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली थी। उनका संघर्ष यानी भाजपा का संघर्ष आज फलीभूत हो रहा है। इसकी उन्हें खुशी है।

मात्र 3 साल में शिलान्यास तक पहुंचा मामला

1949 से 1986 तक 37 सालों में राम जन्मभूमि का मामला जस का तस था। केवल तीन सालों में वह शिलान्यास तक पहुंच गया। आंदोलन की कमान संभाल रहे संघ परिवार के संगठन विहिप का आत्मविश्वास उफान पर था। संघ परिवार को लगने लगा था कि राम मंदिर निर्माण का स्वप्न निकट भविष्य में साकार हो सकता है। अब तो जनता ने भी इसे महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में स्वीकार कर लिया था। लिहाजा तैयारियां जोर पकड़ने लगीं। साधु-संतों के साथ मिलकर विहिप ने कई कार्यक्रमों की घोषणा कर दी।

मंदिर नहीं बना तो हिन्दू की पहचान नहीं बचेगी

विहिप के अशोक सिंहल ने पूरे मामले में हिंदुओं के सम्मान का सुर मिला दिया था। राम जन्मभूमि मुद्दे पर पूछे एक सवाल कि अयोध्या में यदि एक मंदिर नहीं बनेगा, तो क्या हो जाएगा? इस पर अशोक सिंहल का स्पष्ट जवाब था यदि अयोध्या में जन्मभूमि पर राम का मंदिर नहीं बनेगा, तो इस देश में हिंदू समाज व उसकी पहचान भी नहीं बचेगी। भारत की पहचान राम से और हिंदू की पहचान भी राम से है। अयोध्या इन्हीं राम की जन्मस्थली है। सवाल एक मंदिर का नहीं है, बल्कि राम की जन्मभूमि का है।

भाजपा ने दी मुद्दे को धार

मंदिर निर्माण के लिए संघ व उसके दूसरे संगठन जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे। उधर सरकार में शामिल भाजपा राजनीतिक क्षेत्र में इस मुद्दे को धार दे रही थी। उस वक्त लगातार बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच लालकृष्ण आडवाणी सबसे अहम राजनीतिक शख्सीयत बन चुके थे। 7 अगस्त 1990 को प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को लागू करने की घोषणा की। इससे देश में इसके समर्थन और विरोध में आंदोलन होने लगे। इन सबके बीच भाजपा और संघ परिवार राम मंदिर निर्माण के लिए जनमत बनाने के प्रयासों में जुटे रहे। मंडल की काट और राम मंदिर निर्माण को लेकर समर्थन जुटाने के लिए आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की, जिसे विभिन्न राज्यों से होते हुए 30 अक्तूबर को अयोध्या पहुंचना था। आडवाणी वहां कारसेवा में शामिल होने वाले थे।

अयोध्या नहीं पहुंच पाई यात्रा, कोठारी बंधुओं ने बाबरी मस्जिद फहराया दिया था भगवा

आडवाणी की रथयात्रा अयोध्या तक नहीं पहुंच पाई। बिहार पहुंचने के बाद आडवाणी को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर 23 अक्तूबर को समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच अयोध्या में 21 अक्तूबर से कारसेवक इकट्ठा होने लगे। 30 तारीख को आचार्य वामदेव, महंत नृत्य गोपालदास और अशोक सिंहल के नेतृत्व में कारसेवक विवादित स्थल की ओर कूच करने लगे। उन्हें बाबरी मस्जिद के पास पहुंचने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोली चलाने की आज्ञा दे दी। कई कारसेवक मारे गये। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कोठारी बंधुओं ने बाबरी मस्जिद पर भगवा झंडा फहरा दिया था। 2 नवंबर को कारसेवकों ने फिर विवादित स्थल की ओर पहुंचने की कोशिश की। इस बार फिर सरकार ने गोली चलवाई और कई कारसेवक मारे गए।

भाजपा ने वीपी सिंह से वापस लिया समर्थन

घटनाक्रम के बीच में भाजपा ने केंद्र की वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। सरकार गिर गई। कांग्रेस के समर्थन से 10 नवंबर 1990 को चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। 1991 में मध्यावधि चुनाव हुए। 21 जून को नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने। इस चुनाव में भाजपा 85 से 120 सीटों पर पहुंच गई। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनावों में भी जीत हासिल की। मंदिर निर्माण का आंदोलन दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा था। कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री बनने से स्थितियां थोड़ी अनुकूल हो गई थीं।

राम मंदिर से लगी जमीन सरकार ने अधिग्रहीत की

राम मंदिर से लगी 2.77 एकड़ जमीन को राज्य सरकार ने अधिगृहित किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इसको चुनौती दी गई, इसकी सुनवाई 4 नवंबर 1992 को पूरी हो गई थी। फैसले के लिए 4 दिसंबर की तिथि तय हुई थी। इस बीच विहिप ने 6 दिसंबर को कारसेवा का आह्वान किया था। विहिप के तत्कालीन संयुक्त महामंत्री चंपत राय ने 2009 के एक इंटरव्यू में कहा था, ‘पहले दो न्यायाधीशों ने फैसला लिख दिया, लेकिन तीसरे जज ने इसे 11 दिसंबर के लिए टाल दिया। यह तारीख कारसेवा के लिए निर्धारित तिथि के बाद पड़ रही थी। इससे आक्रोशित होकर कारसेवक धैर्य खो बैठे।

विवादित ढांचा ढहते मौजूद थे आडवाणी

जिस दिन अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था। उस दिन लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे भाजपा के बड़े नेता और विहिप के कई प्रमुख लोग अयोध्या में मौजूद थे। साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती जैसी हिंदू नेत्रियां भी अयोध्या में मौजूद थीं।

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