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पटना बिहार से साहित्यकार ऋचा वर्मा की लघु कथा.. वैलेंटाइन डे

ऋचा वर्मा
पटना, बिहार
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वैलेंटाइन डे
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‘यह लो वैलेंटाइन डे गिफ्ट,’ कहते हुए कल्याण ने दीपा को गुलाबी कागज में लिपटा पायल पकड़ा दिया। कल्याण की आवाज की बेरुखी से दीपा बिफर गई, ‘वाह-वाह गिफ्ट दे रहे हो या भार टाल रह हो’, कहते हुए उसने वह पुड़िया वहीं बिस्तर पर पटक दिया। ‘हाँ-हाँ भार ही टाल रहा हूँ, तुम्हें जो समझना है समझो।’ कहते हुए अखबार उठाकर कल्याण बरामदे में चला गया। जाते-जाते उसे दीपा की आवाज सुनाई दी, ‘जब इतनी की भी हैसियत नहीं थी तो क्यों की शादी?’, ‘अपने ही तीज-त्योहार हमारे बजट बिगाड़ देतें हैं, अब ये आयातित त्योहार…. ‘कल्याण भुनभुना रहा था।’ ‘सुबह से एक कप चाय नसीब नहीं हुई और किचकिच शुरू ‘ जैसे तैसे अपने गुस्से पर काबू पाने की कोशिश करते हुए वह अखबार पर ध्यान लगाना चाह रहा था, तभी उसे पायल की छम-छम की आवाज सुनाई दी, अखबार उठाकर नजारा देखा तो बहुत ही मुश्किल से अपनी हंसी रोक पाया। दीपा पैरों में पायल पहने टखने तक नाईटी उठाये और चेहरे को तौलिये से ढंके कैट वाॅक करती हुई आई और बड़े प्यार से पूछा ‘कैसा लग रहा है पायल?’ ‘बहुत सुंदर, पर चेहरे पर तौलिया क्यों…? ‘कल्याण के पूछने पर दीपा ने कहा, ‘शर्म आ रही है’ और वह बेडरूम की ओर भागी कल्याण उसके पीछे जाकर तौलिया खींचा और दोनों एक साथ बेड पर गिर पड़े, नजरें मिलीं और एक साथ बोल उठे ‘हैप्पी वैलेंटाइन डे’।

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