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पटना बिहार से साहित्यकार ऋचा वर्मा की एक लघु कथा.. खुशियां, जरूर पढ़े जीवन की यह सच्चाई

ऋचा वर्मा
पटना, बिहार
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खुशियां
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बार-बार फोन लगाने पर भी जब बेटे ने फोन नहीं उठाया तो हारकर, बानबे वर्षीय सेवानिवृत्त प्रशासनिक पदाधिकारी सुदीप्त घोष ने फोन एक तरफ रख दिया।
बगल के बेड पर सत्ताईस वर्षीय उत्सव और उसके बेड के अगल-बगल बैठे उसकी बहन उन्नति और मित्र स्निग्धा ने परिस्थितियों को भांप लिया। उत्सव को खैर सलाईन चढ़ रहा था सो वह यथावत लेटा रहा, पर उन्नति और स्निग्धा पर्दे के उस पार लेटे घोष साहब के बेड के पास चले गए।
“अंकल आपने घर फोन किया, आज आप डिस्चार्ज होने वाले हैं ना? “स्निग्धा ने पूछा।
“फोन तो किया, पर लग नहीं रहा है।”
घोष साहब ने शांत लहजे में कहा।
“कल रात हम लोगों ने आपको बहुत तंग किया…।”
उन्नति ने बड़े प्यार से पूछा।
“नहीं, तुम लोग ऊंची आवाज में बात कर रहे थे और मैं सोना चाह रहा था…. बस।”
“आपके सोने के बाद मैं यहां सो गयी थी।”
उन्नति ने उनकी तरफ के अटेंडेंट बेड की ओर इंगित करते हुए कहा।
“अच्छा किया, मेरे घर में मैनपावर की कमी है तो कोई रूकता नहीं है..।”
घोष साहब ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अंकल पानी पी लीजिए और अपना नंबर दीजिए मैं अपने फोन से लगाती हूँ।”
गुनगुने पानी का गिलास थमाते हुए स्निग्धा ने कहा।
और स्निग्धा ने नंबर डायल किया, इस बार झट से फोन उठ गया, उसने घोष साहब को फोन थमा दिया। फोन स्पीकर पर था सो उस तरफ हो रहे शोरगुल को सब सुन पा रहे थे।
“हैलो… मैं पापा बोल रहां हूँ..”
“आज मुझे डिस्चार्ज कर देंगे….”
“पापा, अभी मैं बच्चों के साथ न्यू ईयर की पार्टी कर रहा हूँ… बहुत शोर हो रहा है…” और फोन कट गया।
उन्नति और स्निग्धा के चेहरों की मुस्कान गायब हो गई, फिर भी उन्होंने अपने आप को सहज किया। दोनों ने अंकल से बात और आदतन मोबाइल पर चैट करते रहे।
थोड़ी देर बाद अचानक दरवाजा खुला, उनके दोस्त हाजिर थे केक के साथ।
घोष साहब ने केक काटा और चारों तरफ
“हैप्पी न्यू ईयर” की आवाज गूंज रही थी।
दूसरे दिन सुबह घोष साहब पूरी तरह तैयार बैठे थे, आज उनका बेटा आने वाला था, उन्हें लिवा जाने के लिए।
“अंकल आज तो आप बहुत खुश हैं।”
“हां…. क्यूँ नहीं खुश होऊंगा।”
“आपके बेटे आपका ध्यान नहीं रखते….?”
“मैं अपना ध्यान खुद रखता हूँ…. और तुम सबको भी अपना ध्यान खुद रखना चाहिए, हमारी खुशियों का बागडोर हमारे हाथों में होनी चाहिए….।”
“बिल्कुल सही” सबने एक स्वर में कहा।
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..31/12/2020
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