उत्तराखंड के सभी जनपदों में होगी सामुदायिक रेडियो केन्द्रों की स्थापना होगी, डॉ धन सिंह रावत के संज्ञान लेने के बाद हरकत ने आया विभाग
– विभागीय मंत्री डॉ धन सिंह रावत की तत्परता से आपदा प्रबंधन विभाग हरकत में आया है। रावत ने बताया कि प्रत्येक केंद्र की स्थापना के लिए 10 लाख की रुपए की धनराशि मिलेगी। केंद्रों की स्थापना के बाद राज्य में आपदा आने पर सूचनाओं के आदान-प्रदान में होगी सुविधा।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा है कि राज्य के विभिन्न जनपदों में जल्द ही सामुदायिक रेडियो केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। आपदा के समय में इन केंद्रों से आमजन तक सूचनाओं का आदान-प्रदान आसानी और त्वरित रूप से होगा। शासन ने आदेश जारी करते हुए इसके लिए प्रस्ताव मांगे हैं। केंद्र की स्थापना के लिए 10 लाख की रुपए की धनराशि विभाग की ओर से दी जाएगी।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में सूबे के विभिन्न जनपदों में स्वायत्त संस्थाओं व गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से सामुदायिक रेडियो केंद्र स्थापित किये जाने की व्यवस्था है। लेकिन, विभागीय लेट लतीफी के कारण योजना अंजाम तक नहीं पहुँच सकी। हाल ही में विभागीय मंत्री डॉ रावत ने समीक्षा बैठकों में इस योजना का संज्ञान लिया, इसके बाद आपदा प्रबंधन विभाग हरकत में आया है।
विभागीय सचिव एसए मुरुगेशन ने इस सम्बन्ध में बाकायदा शासनादेश जारी कर सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने जनपदों के इच्छुक गैर सरकारी संस्थाओं व अन्य संगठनों से रेडियो केंद्र की स्थापना के लिए 4 जून तक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों व अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं से भी प्रस्ताव मांगे गए हैं।
आदेश में कहा गया है कि जनपदों में सामुदायिक रेडियो केन्द्रों की स्थापना के लिए विभाग के तहत आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से 10 लाख रुपए और केन्द्र के संचालन हेतु तीन वर्ष तक 2 लाख रुपए प्रतिवर्ष वित्तीय सहायता दी जायेगी।
विभागीय मंत्री डॉ रावत का मानना है कि राज्य के सरकारी विश्वविद्यालय व अन्य स्वायत्तशासी शिक्षण संस्थान इस काम को बेहतर ढंग से कर सकते हैं। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय व कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर अपने कैंपस में रेडियो केन्द्रों का संचालन पहले से ही कर रहे हैं, यदि सरकार की यह योजना सफल होती है तो निश्चित रूप से राज्य में आने वाली विभिन्न आपदाओं की जानकारी आम लोगों तक जल्द से जल्द पहुँचाने में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही कृषि, बागवानी, जड़ी-बूटी उत्पादन, मौसम आदि की जानकारी लोगों तक पहुँचाने के लिए भी इन सामुदायिक रेडियो केन्दों का उपयोग किया जा सकेगा।