Wed. Dec 17th, 2025

कवि संजय सती की गढ़वाली रचना … बिटौली की धोर

संजय सती
ग्राम छिनका, चमोली


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बिटौली की धोर

सेंती य पाली ये थाती ये माटी, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
गौ की व पुंगडी पुराणी ते कूडी, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।
दूध-बोली भाषा पहाडे पच्छाण, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
सजीलो पेरवार मनमौण्या अन्वार, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।

दयबतों का द्वार तों न्योंजा निसाण, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
बाजा भंकोरा ते डोंर थकुली, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।
ओज्यों की भोंण रसीला तों गीत, सेंकी संभाली बिटोली की धोर
बार त्यौहार मां पेंणा की रीत, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।

बण जंगल तों धारा-मंगरा, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
बाला पन बीती छै जख हमारू, ते चौक तिवारी बिटोली की धोर।।
ताँबे की गागर कॉस कु भड्डू सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
अरे तौला कु भात,कण्डाली भुज्जी, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।

दादी की बात ते आर्शीवाद, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
घासे कण्डी ते जूडी दाथुली, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
रस्याण ऋतु की बाजूबन्द गीत, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
झुमैलो चौफला कु सजिलो नाच, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।

टेडो मेडा बाटा उकाल कु सांसु, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
ब्यो बरात्यों की भली रस्याण मालु का पात मा भात खांण, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।
ध्याण्यों की बात नाराज कु साज, सेंकी संभाली बिटोली की धोर।।

जुगराजी की बात ते आशीर्वाद सेंकी संभाली बिटोली की धोर-2

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