आजादी के बाद भी लोक सेवकों का रवैया अंग्रेजी शासकों जैसा
-संयुक्त राष्ट्र लोकसेवा दिवस पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वावधान में आयोजित की गई वैचारिक गोष्ठी
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। संयुक्त राष्ट्र लोकसेवा दिवस पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वावधान में आयोजित वैचारिक गोष्ठी में दून की अनेक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियो ने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि आजादी के बाद लोक सेवकों का रवैया अंग्रेजी शासकों जैसा ही दिखायी देता है। ये वर्ग खुद को आमजन की अपेक्षा राजनैतिक दलों के प्रति अधिक उत्तरदायी समझने लगे हैं। जबकि, इनको संवैधानिक अधिकारों व कर्तव्यो के साथ समाज के पीड़ित नागरिकों के प्रति भी अपने को जनसेवक के रूप मे प्रस्तुत करना चाहिए।
कुछ वक्ताओं का मानना था कि ये नियुक्ति प्रशिक्षण अनुशासनात्मक क्षेत्रों मे पूर्णत: केन्द्र के अधीन है। जबकि, राज्य सरकारों का, जहां ये कार्यरत होते है, इन पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए इस व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। कुछ विचार थे कि जनप्रतिनिधियों द्वारा लोकसेवकों की कार्यप्रणाली में अनावश्यक दख़लंदाज़ी भी इनको कई बार पूर्ण समर्पण से कार्य करने मे बाधा उत्पन्न करती है। लेकिन, जनता से विनम्रतापूर्वक व्यवहार भारतीय जनमानस की अपेक्षा है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने भी अपने को जनसेवक व चौकीदार के रूप मे प्रस्तुत किया है।
गोष्ठी के भागीदारों में डॉ एस फारूख, ज्योतिष घिलडियाल, रवि सिंह नेगी, गुलिसता खानम, इंदु नौडियल, सुशील त्यागी, सेवा सिंह मठारू, जितेन्द्र डडोना, आशा टमटा, डा. सुनील बत्रा, सत्यप्रकाश चौहान, ब्रि. केजी बहल, दिनेश भण्डारी, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता बीपी नौटियाल, वीपी डंगवाल, गजेन्द्र सिंह रमोला, सुशील सैनी, सुनील शाह, जितेन्द्र रघुवंशी, विभिन्न संगठनों के जागरूक प्रतिनिधि शामिल थे। इस दौरान अपर मुख्य सचिव राधा रतूडी, जिलाधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव, एन रविशंकर अपर सचिव सुमन वल्दिया, अपर मेलाधिकारी हरबीर सिहं के द्वारा समर्पण, ईमानदारी, नैतिकताा, जनहित की भावना से अपने कर्तव्यों के निर्वहन व समाज में व्याप्त लोकप्रिय छवि की प्रशंसा करते हुए इनका अभिनंदन किया गया।
