महाराज के प्रयास हुए सफल, 13366.15 लाख की सड़कें मंजूर
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। उत्तराखंड के लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज के अनुरोध पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तराखण्ड में 448.735 किमी लम्बाई के 16 मोटर मार्गो के सुदृढ़ीकरण व डामरीकरण के लिए 13366.15 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। महाराज हाल ही में दिल्ली प्रवास के दौरान गडकरी से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर मिले थे। मुलाकात के दौरान महाराज ने गडकरी से उत्तराखंड में सड़कों के विस्तार के लिए केंद्रीय सड़क अवसंरचना कोष (सीआरआईएफ) के अनुमोदन पर में चर्चा करते हुए उनसे कई मोटर मार्गों के सुदृढ़ीकरण व डामरीकरण के प्रस्तावों पर स्वीकृति का अनुरोध किया था।
महाराज के अनुरोध को स्वीकार करते हुए गडकरी ने जिन सड़कों के काम को मंजूरी दी है। उनमें जनपद पौड़ी के विकास खंड रिखणीखाल में 49 किमी के स्व. जगमोहन सिंह नेगी मोटर मार्ग (राज्य मार्ग संख्या-09) के सुदृढ़ीकरण लागत 2019.57 लाख, 10 किमी लंबे धुमाकोट पिपली मोटर मार्ग में डिफेक्ट कटिंग, क्षतिग्रस्त दीवारों व स्कपर (रोड़ सेफ्टी) लागत 197.89 लाख, मरचुला-सराईखेत-बैजरों-पोखरा-सतपुली-बाणघाट-घंडियाल-कांसखेत, पौड़ी (राज्य मार्ग संख्या-32) 47 किमी के सुदृढ़ीकरण लागत 1213.92 लाख, 26 किमी लम्बे मरचुला-सराईखेत-बैजरों-पोख-सतपुली-पौडी़ राज्य मार्ग सं. 32 के सुदृढ़ीकरण लागत 1199.89 लाख, पौड़ी-देवप्रयाग-गजा-जाजल 49 किमी (राज्य मार्ग) लागत 650 लाख, नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग 19 किमी में रोड़ सेफ्टी कार्य लागत 234.81 लाख, जनपद चमोली में 25.735 किमी पोखरी-कर्णप्रयाग मोटर मार्ग के सुधारीकरण व डामरीकरण लागत 2340 लाख, बागवान-जामणीखाल 25 किमी मोटर मार्ग के सुधारीकरण लागत 73.93 लाख, 32 किमी लक्षमोली-हिसरियाखाल-जामणीखाल मोटर के सुधारीकरण कार्य लागत 86.68 लाख व जगमोहन सिंह नेगी (राज्य मार्ग सं.09) 48 किमी में 114.55 लाख की लागत से क्रैश बैरियर, दिशा सूचक, सावधानी बोर्ड लगाये जाने सहित गढवाल के कुल 16 मोटर मार्गों के लिए 13366.15 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं।
महाराज ने उक्त सभी मोटर मार्गों के डामरीकरण, सुधारीकरण के लिए केंद्रीय सड़क अवसंरचना कोष के तहत धनराशि स्वीकृत करने पर गडकरी का आभार व्यक्त किया है।उन्होने कहा कि प्रदेश को गडकरी का निरंतर सहयोग मिल रहा है। उनके सहयोग के कारण ही प्रदेश में अनेक सड़कों के विस्तारीकरण व डामरीकरण संभव हो पा रहा है।