श्रावण सोमवार: अपनी राशि के अनुसार पूजा करें तो अत्यंत प्रसन्न होते हैं भोले नाथ
-उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास शुरू हो चुका है। 18 जुलाई 2022 को श्रावण मास का सोमवार है। (गुजरात व महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है, वहां 29 जुलाई, शुक्रवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)।
भगवान शिव श्रावण सोमवार के बारे में कहते हैं ‘मत्स्वरूपो यतो वारस्ततः सोम इति स्मृतः। प्रदाता सर्वराज्यस्य श्रेष्ठश्चैव ततो हि सः। समस्तराज्यफलदो वृतकर्तुर्यतो हि सः।। अर्थात सोमवार मेरा ही स्वरूप है, अतः इसे सोम कहा गया है। इसीलिये यह समस्त राज्य का प्रदाता तथा श्रेष्ठ है। व्रत करने वाले को यह सम्पूर्ण राज्य का फल देने वाला है।
भगवान शिव यह भी आदेश देते हैं कि श्रावण में ‘सोमे मत्पूजा नक्तभोजनं’ अर्थात सोमवार को मेरी पूजा और नक्तभोजन करना चाहिए। पूर्वकाल में सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने ही इस मंगलकारी सोमवार व्रत को किया था। ‘कृष्णे नाचरितं पूर्वं सोमवारव्रतं शुभम्’
स्कन्दपुराण, ब्रह्मखण्ड में सूतजी कहते हैं-
शिवपूजा सदा लोके हेतुः स्वर्गापवर्गयोः।। सोमवारे विशेषेण प्रदोषादिगुणान्विते।।
केवलेनापि ये कुर्युः सोमवारे शिवार्चनम्।। न तेषां विद्यते किंचिदिहामुत्र च दुर्लभम्।।
उपोषितः शुचिर्भूत्वा सोमवारे जितेंद्रियः।। वैदिकैर्लौकिकैर्वापि विधिवत्पूजयेच्छिवम्।।ब्रह्मचारी गृहस्थो वा कन्या वापि सभर्त्तृका।। विभर्तृका वा संपूज्य लभते वरमीप्सितम्।।*
प्रदोष आदि गुणों से युक्त सोमवार के दिन शिव पूजा का विशेष महात्म्य है। जो केवल सोमवार को भी भगवान शंकर की पूजा करते हैं, उनके लिए इहलोक और परलोक में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं। सोमवार को उपवास करके पवित्र हो इंद्रियों को वश में रखते हुए वैदिक अथवा लौकिक मंत्रों से विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्मचारी, गृहस्थ, कन्या, सुहागिन स्त्री अथवा विधवा कोई भी क्यों न हो, भगवान शिव की पूजा करके मनोवांछित वर पाता है।
शिवपुराण, कोटिरुद्रसंहिता के अनुसार
निशि यत्नेन कर्तव्यं भोजनं सोमवासरे। उभयोः पक्षयोर्विष्णो सर्वस्मिञ्छिव तत्परैः।। दोनों पक्षों में प्रत्येक सोमवार को प्रयत्नपूर्वक केवल रात में ही भोजन करना चाहिए। शिव के व्रत में तत्पर रहने वाले लोगों के लिए यह अनिवार्य नियम है।
अष्टमी सोमवारे च कृष्णपक्षे चतुर्दशी।। शिवतुष्टिकरं चैतन्नात्र कार्या विचारणा।। सोमवार की अष्टमी तथा कृष्णपक्ष चतुर्दशी इन दो तिथियों को व्रत रखा जाए तो वह भगवान शिव को संतुष्ट करने वाला होता है, इसमें अन्यथा विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
श्रावण सोमवार में करें भगवान शिव जी का पूजन
श्रावण सोमवार में शिवजी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। लेकिन, आप अपनी राशि के अनुसार भोलेनाथ जी की पूजा करें तो शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। सावन मास में राशि अनुसार भोले शंकर की पूजा से मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है, तो आइए जानते हैं कि किस राशि वालों को भोले शंकर की किस तरह आराधना करनी चाहिए …
मेष राशि:- मेष राशि के जातकों को भगवान शिव जी का अभिषेक गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर करना चाहिए, इसके बाद चंदन और सफेद पुष्प चढ़ाने चाहिए, इसके बाद श्रद्धानुसार 11, 21, 51 और 108 बार ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जप करना चाहिए, ऐसा करने से भोले बाबा समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
वृष राशि:- वृष राशि के जातकों को शिव शंकर का दही से अभिषेक करना चाहिए, दही से अभिषेक करने से जातक को धन, पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होने का योग बनता है। इसके अलावा सफेद फूल तथा बेलपत्र चढ़ाने चाहिए। इससे जीवन की सभी समस्याओं का हल मिलने लगता है।
मिथुन राशि:- मिथुन राशि के जातकों को भोलेनाथ का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए, मान्यता है सावन भर प्रतिदिन गन्ने के रस से अभिषेक करने से भोलेनाथ जल्दी ही सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं, इसके अलावा इस राशि के जातकों को शिवजी को भांग, धतूरा, तथा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए, शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।
कर्क राशि:- कर्क राशि के जातकों को भोलेनाथ का दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक करना चाहिए, इससे मन शांत होता है और शुभ कार्यों को करने की प्रेरणा मिलती है। इसके साथ ही आंक के श्वेत फूल, धतूरा और बेलपत्र भी शिवजी को अर्पित करना चाहिए। साथ ही रुद्राष्टक का पाठ करना भी शुभ होगा।
सिंह राशि:- सिंह राशि के जातकों को भोलेनाथ का मधु अथवा गुड़ युक्त जल से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को कनेर का पुष्प तथा लाल रंग का चंदन अर्पित करना चाहिए। गुड़ और चावल से बनी खीर चढ़ा सकते हैं। यह अत्यंत शुभ होता है। सूर्योदय के समय शिवजी की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति जल्दी होती है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। इससे सेहत संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती है।
कन्या राशि:- कन्या राशि के जातकों को शंभूनाथ का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा शिवजी को भांग, दुर्वा, पान तथा बेलपत्र चढ़ाएं ‘ऊं नमः शिवाय मंत्र’ का जप करें शीघ्र ही मनोकामनाएं पूर्ण होगी शिव चालीसा का पाठ करना भी बेहतर होगा।
तुला राशि:- तुला राशि के जातकों को भगवान शिव का गाय के घी, इत्र या सुगंधित तेल या फिर मिश्री मिले दूध से अभिषेक करना चाहिए। सफेद फूल भी पूजा में शिवजी को चढ़ाने चाहिए। दही, शहद अथवा श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव के सहस्त्रनाम का जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि तथा लक्ष्मी का आगमन होगा।
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि के जातकों को पंचामृत अथवा शहद युक्त जल से भगवान शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। लाल फूल, लाल चंदन भी शिवजी को चढ़ाने चाहिए। बेलपत्र अथवा बेल के पौधे की जड़ चढ़ाने से भी कार्यों में सफलता मिलती है। रूद्राष्टक का पाठ करना भी श्रेयस्कर रहेगा।
धनु राशि:- धनु राशि के जातकों को भोलेनाथ का दूध में पीला चंदन मिलाकर अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा पीले रंग के फूलों या फिर गेंदे के फूल चढ़ाने चाहिए, खीर का भोग लगाना भी शुभ रहेगा। ऊं नमः शिवाय का जप और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
मकर राशि:- मकर राशि के जातकों को भोलेशंकर का नारियल के पानी से अथवा गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को सभी कामों में सफलता मिलेगी। त्रयंबकेश्वर का ध्यान करते हुए भगवान शिव जी को बेलपत्र, धूतरा, शमी के फूल, भांग एंव अष्टगंध अर्पित करने चाहिए। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाने से शनि की पीड़ा समाप्त होती है। नीले कमल का फूल भी भगवान को अवश्य चढ़ाएं।
कुंभ राशि:- कुंभ राशि के जातकों को सावन महीने में शंकर भगवान को प्रतिदिन नारियल के पानी, सरसों के तेल अथवा तिल के तेल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा शिवाष्टाक का पाठ करना चाहिए। इससे जातकों के बिगड़े काम बनेंगे। साथ ही धन-समृद्धि में वृद्धि होगी। शमी के फूल पूजा में अर्पित करें। शिवजी की कृपा से यह शनि पीड़ा को कम करता है।
मीन राशि:- मीन राशि के जातकों को सावन भर भोलेनाथ का केसर मिश्रित जल से जलाभिषेक करना चाहिए, इसके अलावा शंकरजी की पूजा में पंचामृत, दही, दूध और पीले पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही ‘ऊं नमः शिवाय का जप करना चाहिए। शिव चालीसा का पाठ करना भी शुभ रहेगा। इससे लाइफ की सारी टेंशन दूर हो जाती है।
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई और शुभ आशीष।
18 तारीख को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 9 होता है। अंक ज्योतिष का सबसे आखरी मूलांक है नौ। आपके जन्मदिन की संख्या भी नौ है। आप सही मायनों में उत्साह और साहस के प्रतीक हैं। मंगल ग्रहों में सेनापति माना जाता है। अत: आप में स्वाभाविक रूप से नेतृत्त्व की क्षमता पाई जाती है। लेकिन, आपको बुद्धिमान नहीं माना जा सकता।
मंगल के मूलांक वाले चालाक और चंचल भी होते हैं। आपको लड़ाई-झगड़ों में भी विशेष आनंद आता है। आपको विचित्र साहसिक व्यक्ति कहा जा सकता है। यह मूलांक भूमि पुत्र मंगल के अधिकार में रहता है। आप बेहद साहसी हैं। आपके स्वभाव में एक विशेष प्रकार की तीव्रता पाई जाती है।
शुभ दिनांक : 9, 18, 27
शुभ अंक : 1, 2, 5, 9, 27, 72
शुभ वर्ष : 2025, 2036, 2045
ईष्टदेव : हनुमान जी, मां दुर्गा। शुभ रंग : लाल, केसरिया, पीला
पं. राजेन्द्र प्रसाद (पंकज शास्त्री), केदारनाथ! (देवभूमि उत्तराखण्ड) हिमालय