सरकारी स्कूलों के कला व संगीत शिक्षकों को मिला प्रतिभा दिखाने का मौका
– एससीईआरटी ने आयोजित किया दो राज्य स्तरीय संगीत एवं कला अध्यापक प्रतिभा सम्मान समारोह
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। एससीईआरटी के दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगीत एवं कला अध्यापक प्रतिभा सम्मान समारोह का शुभारंभ मंगलवार को हो गया। इस अवसर मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध चित्रकार रधुवीर पंवार ने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए मन में सीखने की ललक होना जरूरी है। अजंता/ऐलोरा गुफा में काम के दौरान हुए अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 2600 वर्ष पहले भारत में लोहा आने के बाद गुफा चित्रों के निर्माण में तेजी आयी। उन्होने पेंटिंग को लुप्त होने से बचाने में अपने द्वारा प्रयोग की गई इटैलियन तकनीकि की भी जानकारी दी।
आईआरडीटी प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य संगीत व कला के प्रतिभावान शिक्षकों को सृजन के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करना है। विकासखंड स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों का चयन जनपद स्तर के लिए किया गया। जनपद स्तर के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी मण्डल स्तर के लिए चयनित हुए। विकासखंड व जनपद स्तर का कार्यक्रम संबंधित डायट प्राचार्य व मण्डल स्तर का मण्डलीय अपर निदेशक माध्यमिक की अध्यक्षता में वर्चुअल मोड में संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में कला के तहत चित्र संयोजन, पोस्टर चित्रांकन और लोक चित्रांकन विधा पर दोनों मण्डलों से दो-दो शिक्षकों के हिसाब से कुल 6 शिक्षक राज्य स्तर पर चित्रकला के प्रदर्शन के लिए चयनित किए गए। जबकि, गायन के तहत शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत व लोक संगीत को रखा गया है। वादन में शास्त्रीय संगीत वादन, सुगम संगीत वादन व लोकसंगीत वादन और नृत्य के तहत शास्त्रीय नृत्य, सेमी क्लासिकल नृत्य और लोकनृत्य को रखा गया है।
18 शिक्षक-शिक्षिकाएं किए गए चयनित
निदेशक ने बताया कि मण्डल स्तर पर संगीत की इन विधाओं में दोनों मण्डलों से चयनित दो-दो शिक्षकों के हिसाब से कुल 18 शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। 17 मार्च को हिंदुस्तानी और वालीवुड संगीत के जाने-माने हस्ताक्षर जुबिन नौटियाल कार्यक्रम में शामिल होंगे। उनके समक्ष शिक्षकों की चुनिंदा प्रस्तुतियां दी जायेंगी।
भविष्य में अन्य विषयों के शिक्षकों के लिए भी होंगे कार्यक्रम
अपर निदेशक एससीईआरटी अजय नौडियाल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम शिक्षकों की रचनात्मकता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भविष्य में कला और संगीत के अलावा अन्य विषयों के शिक्षकों के लिए भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। विभागायक्ष एससीईआरटी प्रदीप रावत ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों की कलात्मकता को भी सामने आने का मौका मिलता है।
शिक्षकों ने दी शानदार प्रस्तुतियां
दूसरे सत्र में शिक्षक प्रतिभागियों ने प्रस्तुतियां दी। सर्वप्रथम शास्त्रीय गायन के तहत हिमांशु जोशी (पौड़ी गढ़वाल) ने राग जोग प्रस्तुत किया तो नमिता मुरारी ने राग शुद्ध सारंग गाया। सुगम संगीत में हरीश जोशी (नैनीताल) ने कबीर वाणी और प्रीति (रुद्रप्रयाग) ने गजल प्रस्तुत की। लोकगायन।में लता तिवारी पाण्डे ने न्योली, छपेली और झोड़ा प्रस्तुत किया। जबकि, सुनील कुमार पाण्डे ने परम्परागत बैठकी होली गायी। शास्त्रीय वादन में हर्षवर्धन भट्ट (पौड़ी) और डॉ. मोहनी बंसल (नैनीताल) ने तीन ताल प्रस्तुत किया। सुगम संगीत वादन में धर्मेंद्र चौहान (पौड़ी) ने सिंथेसइजर पर ‘मेरे ढोलना सुन’ की धुन प्रस्तुत की। लोकसंगीत में प्रताप सिंह (पौड़ी) ने ढोल सागर की प्रस्तुति दी व हरीश राम (बागेश्वर) ने हुड़का वादन प्रस्तुत किया गया।
नृत्य में मीनाक्षी बुटोला व पंकज शाह ने शास्त्रीय नृत्य, सेमी क्लासिकल नृत्य में गढ़वाल से ज्योति सुमन, कुमाऊं से रमा खर्कवाल व लोकनृत्य के तहत गढ़वाल से साधना जोशी व कुमाऊं से भुवनेश्वरी ने नृत्य प्रस्तुत किये।
गैलरी में चित्रकारों ने की सजीव (लाइव) चित्रकारी
आईआरडीटी प्रेक्षागृह के बाहर गैलरी में चित्रकारों ने सजीव (लाइव) चित्रकारी की। ‘नारी’ विषय पर सुनील कुमार (गढ़वाल मंडल) व कृष्ण चन्द्र (कुमाऊं मण्डल) ने पोस्टर चित्रांकन, चित्र संयोजन (कम्पोजिशन) में संजय रावत (गढ़वाल मंडल) व हरिमोहन कंसेरी (कुमाऊं मण्डल) ने उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कुम्भ स्नान का चित्रांकन किया। जबकि, पुष्पलता जोशी (गढ़वाल मण्डल) व ज्योत्सना बोरा (कुमाऊं मण्डल) ने लोक चित्रकला के तहत बालिका जन्म से संबंधित उत्तराखण्ड की लोक चित्रकला शैली को प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति
इस अवसर पर निदेशक माध्यमिक व प्रारम्भिक शिक्षा राकेश कुंवर, अपर निदेशक माध्यमिक भूपेन्द्र सिंह नेगी, अपर निदेशक सीमैट शशि चौधरी, विभागाध्यक्ष सीमैट दिनेश चन्द्र गौड़ व विनोद ढौंडियाल, कुलदीप गैरोला, कंचन देवराड़ी, डॉ. आरडी शर्मा, हेमलता भट्ट, उपनिदेशक राय सिंह रावत, उप निदेशक हिमानी बिष्ट, किरन बहुखण्डी, पुष्पा वर्मा, सहायक निदेशक डॉ. सुनीता भट्ट, वर्षा भारद्वाज, रेखा चौकियाल, प्रधानाचार्या प्रेमलता बौड़ाई, प्रवक्ता डॉ. शशिशेखर मिश्र, डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी, डॉ आलोक प्रभा पाण्डे, मोंनिका गौड़, डॉ. शिवानी राणा चंदेल, मनोज शुक्ला, सोहन नेगी, भगवती प्रसाद मैंदोली मौजूद रहे।
यह रहे प्रतियोगिता का निर्णायक
निर्णायक के रूप में शास्त्रीय गायन में अनूप गुरु जी, शास्त्रीय नृत्य में डॉ. शारदा ध्यानी, शास्त्रीय वादन में प्रदीप्तो डे और लोक संगीत में पूनम सती ने योगदान दिया। कार्यक्रम में संगीत प्रतियोगिता का संयोजन डॉ. उषा कटियार व चित्रकला का संयोजन डॉ. संजीव चेतन ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोहन बिष्ट व डॉ. उषा कटियार ने संयुक्त रूप से किया।